नई दिल्ली: देश में हर साल की तरह ही इस बार फिर बाढ़ का कहर शुरू हो गया है। देश के कई इलाकों में चारों तरफ जहां इंसानी नजरें नजर दौड़ती हैं वहां केवल बाढ़ और पानी का रौद्र रूप ही दिख रहा है। गांव के गांव जलमग्न हो गए हैं। सरकार और एनडीआरएफ की टीमें राहत बचाव के कार्यों में लगी हैं लेकिन हालात काबू में नहीं आ रहे हैं।
नेपाल और बारिश दोनों हैं कारण
बिहार की बाढ़ में मूसलाधार बारिश और नेपाल के द्वारा छोड़ा जा रहा पानी एक बड़ी वजह है। वहां से लगातार छोड़ा जा रहा पानी बिहार के गांव में लोगों के घरों और छतों तक पहुंच रहा है जिससे मज़बूरी में लोगों को अपना घर छोड़कर ऊंचाई के स्थानों में जाना पड़ रहा है। लोगों की संपत्ति भी बर्बाद हो रही है। यही नहीं नेशनल हाइवे-31 कटिहार के रास्ते पर भयंकर कटाव हो रहा है जिससे लोगों में खौक की स्थिति है ।
नेपाल में लगातार बारिश का तांडव जारी है जिसके चलते सभी नदियों का पानी तेजी से बिहार की तरफ आ रहा है। अररिया मुजफ्फरपुर से होकर जाने वाली नदियों में जलस्तर इतना बढ़ गया है कि पानी लोगों की छतों तक आ रहा है ऐसे में लोगों को जान बचाने में भी मुश्किलें आ रही हैं।
जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त
कोसी नदी का पानी कटिहार और मधेपुरा जैसे जिलों के तटीय क्षेत्रों में पहुंच रहा है और उसके उफान मारने के चलते बाढ़ की स्थिति धीरे-धीरे भयावह होती जा रही है। लगातार बढ़ते इस तांडव से लोगों क़ो परेशानियां हो रही हैं। फारबिसगंज, जोकीहाट, सिकटी और पलासी जैसे निचले इलाकों में घरों में पानी घुसने से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
एक महीने में पुल ढहा
बिहार के गोपालगंज में एक पुल 30 दिन में ही पुल ढह गया है। दरअसल सतर घाटल पुल का एक हिस्सा ढह गया है जिसका उद्घाटन ठीक एक महीने पहले 16 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। बड़ी बात ये है कि दंडक नदी के उफान के कारण गोपालगंज के आस पास तटीय क्षेत्र पूरी तरह से नदी में ही समा गए हैं और लोगों क़ अपना सामान छोड़ भागना पड़ा है।
कुछ यही हाल बिहार के जिले सीतामढ़ी का भी है जहां बाढ़ के कारण जान-माल की भारी क्षति हुई है। लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं और शिविरों में रह रहे हैं। सीतामढ़ी में फसल भी बर्बाद हुई है जिसमें गन्ना और मकई की महत्त्वपूर्ण फसलें शामिल हैं और लगातार ये हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
ब्रह्मपुत्र में उफान का हड़कंप
बिहार की तरह ही देश के पूर्वोत्तर के राज्यों में भी बाढ़ का कहर जारी है। ब्रह्मपुत्र नदी अपने उफान पर है जिसके चलते लगातार जलस्तर बढ़ रहा है।और इस कारण तटीय इलाकों में बाढ़ की भयावह स्थिति आ गई है। असम में इसके कारण बाढ़ का भयंकर रूप देखने को मिला है जहां के 26 जिलों में बाढ़ का संकट है और अब तक इससे राज्य के 35 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं जिसके चलते लगातार हालात और बिगड़ रहे हैं। असम में इस बाढ़ के पानी में डूबने से अब तक 66 लोगों की मौत हो चुकी है। काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ के असर से जानवरों पर मुसीबतें आ गई है जिन्हें बचाने में टीमें काम कर रहीं हैं।
जारी है राहत बचाव का कार्य
देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर काम कर रही है और लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी तैनात हैं। ये टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों और अपने राहत शिविरों तक ला रही है जिससे लोगों को जान माल को अधिक नुकसान न हो और सभी सुरक्षित रहे। लेकिन लगातर बाढ़ का कहर इन टीमों के कामों में भी रुकावट पैदा कर रहा है फिर भी ये टीमें बाढ़ में राहत बचाव का कार्य करने में लगी हुई हैं।