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2022 Chaitra Navratri: मां दुर्गा को करना चाहते हैं प्रसन्न, तो ऐसे करें घटस्थापना, जानें संपूर्ण विधि व मुहूर्त

2022 Chaitra Navratri

2022 Chaitra Navratri: हिंदु धर्म में नवरात्री का विशेष महत्व माना जाता है। यह साल में दो बार आता है एक अक्टूबर महीने में जिस शरादीय नवरात्री और दूसरा अप्रैल माह में जिसे चैत्र नवरात्री के नाम से जाना जाता है। साल 2022 के चैत्र नवरात्रि (2022 Chaitra Navratri) की 02 अप्रैल से शुरु होगी और 11 अप्रैल को खत्म होगी। ये बात हम सभी जानते हैं कि, नवरात्री के दौरान हर साल इनकी तिथियां घटती-बढ़ती रहती है ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है इस बार की की नवरात्रि कितने दिन की होगी और घटस्थापना से लेकर बाकी की जारी भी हम आपको इस आर्टिकल में देने वाले है।

घटती-बढ़ती रहती है नवरात्रि की तिथियां

आपको बता दें कि, हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तक चलती है। दशमी तिथि को पारण करने के बाद नवरात्रि व्रत पूरा होता है। हर साल नवरात्रि की तिथियां घटती-बढ़ती हैं। आमतौर पर नवरात्रि की सामान्य अवधि 9 दिनों की होती है। लेकिन कभी-कभी तिथियां बढ़ने पर नवरात्रि 10 दिनों की होती है। तिथि घटने पर 8 या 7 दिन की होती है।

02 अप्रैल से शुरु 11 अप्रैल खत्म होगी नवरात्रि

साल 2022 की पहली नवरात्रि (2022 Chaitra Navratri) यानी की चैत्र माह की नवरात्री इस बार 02 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक रहेगी। 11 अप्रैल को व्रत पारण कर नवरात्रि समाप्त होंगे। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में नौ दिनों की नवरात्रि को बेहद शुभ माना गया है। इस साल माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी।

साल 2022 के चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहुर्त

मालूम हो कि, नवरात्रि के पहले दिन की शुरुआत घटस्थापना से की जाती है। जिसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। तो चलिए आपको बताते है इस बार कि चैत्र नवरात्रि के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है? नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। बता दें कि, कलश स्थापना प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ की जाती है।

 

ऐसे करें घटस्थापना

आइए अब जानते है कि कैसे मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कलश की स्थापना करें। बता दें कि, घटस्थापना करते समय यह ध्यान रहे की कलश मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें। साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है।

कलश स्थापना के बाद करें ये काम

वहीं कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें और फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें। मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं, गाय के घी से बने होने चाहिए। या सिर्फ गाय के घी चढ़ाने से भी बीमारी व संकट से छुटकारा मिलता है।

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