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बरेली के एक जिले के एक घर में हुई 5 बेटियां ….लोगों ने कहा बहुत बुरा भला

बरेली के एक जिले के एक घर में हुई 5 बेटियां ....लोगों ने कहा बहुत बुरा भला

हमारा देश कितना ही विकास और प्रगति क्यूँ ना करले लेकिन बेटियों के बारे में आज भी हमारी सोच का विकसित होना आज कि इक्कीसवी सदी में भी एक चुनौती से कम नहीं है. कितने ही तरीकों से समझाया जाता है कि बेटी हो या बेटा कोई फर्क नहीं होता है दोनों में दोनों ही इश्वर कि देन है. लेकिन आज भी इस बात को पूर्ण रूप से मानना और समझना इस बात का स्वीकार करना हम सभी लोगों से एक्सेप्ट नहीं कर सकते.

बरेली के फरीदपुर जिले कि है ये बात

चंद्रसेन सागर और मीना देवी जो कि उत्तर प्रदेश में बरेली के जिले फरीदपुर के रहनेवाले है , नवाज़े गए एक बिटिया से अपनी पहली संतान के रूप में और इतना ही नहीं एक एक करके वे पांच बेटियों के पिता बन गए. वहीं देखते ही देखते लोगों को मानों जैसे इश्वर का इतना सुन्दर तौफा क़ुबूल ना हुआ हो और उनके ताने-टंटे बुरी तरह शुरू होगए हर कोई भी आते जाते चंद्रसेन जी को ताने देता और बोलता कि अब क्या इनको आईएस कलेक्टर बनाओगे. देखने वाली बात तोह ये है कि देखते ही देखते ये बात सच भी साबित होगई .

तीन बेटियां आईएस और दो बेटियां है इंजिनियर

चंद्रसेन जी कि आज दो बेटियां आईएस , एक बेटी आईआरस अधिकारी है और उनकी बाकि कि  दो बेटियां इंजिनियर है.  चंद्रसेन जी ने बताया कि उनकी इस सफलता में उनकी माँ मीना देवी का सबसे बड़ा योगदान है. उनकी बेटियों कि पढाई कि शुरुवात बरेली में सेंट मरियल कॉलेज से हुई थी. इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड , अल्लाहबाद और दिल्ली से अपनी बाकि कि पढाई कम्पलीट कि. उनकी तीनो बेटियों ने दिल्ली से यूपीएससी कि तयारी कि और सफलता का मुकाम भी हासिल किया वहीं उनकी बाकि कि दो बेटियां आज इंजिनियर है और अभी मुंबई और नॉएडा में प्राइवेट जॉब कर रही हैं.

बेटियों के मामा ने काफी सहयोग दिया …

दरअसल बेटियों के मामा अनिल कुमार वर्ष 1995 बैच के परिश्रम बंगाल काडर के आईपीएस अधिकार थे. इन बेटियों का ख्वाब था कि वे बड़ी होकर अपनी मामा जेसी बड़ी अधिकारी बनना चाहती है. यूपीएससी कि परीक्षा के दौरान इनके मम ने इनकी काफी पढाई कने में काफी मदद कि काफी सहयोग दिया .

 

 

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