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अनिल अंबानी हुए कंगाल, वकील की फीस भरने के तक के नहीं है पैसे

अनिल अंबानी हुए कंगाल, वकील की फीस भरने के तक के नहीं है पैसे

अनिल अंबानी का नाम दुनिया के शीर्ष उद्योगपतियों में शामिल है। वही हाल में खबरे है कि अनिल अम्बानी कंगाल होने के करीब पहुंच गए हैं। यही नहीं ब्रिटेन की एक अदालत में उन्होंने स्वयं यह स्वीकार किया है कि उनके पास वकील की फीस भरने के तक के पैसे नहीं है। वह अपना कीमती गहने बेच कर वकील की फीस का भुगतान कर रहे हैं। फिलहाल गौरबतलब है कि देश में सिर्फ अनिल अंबानी अकेले ऐसे उद्योगपति नहीं हैं, जो अरबपति से कंगाल होने के करीब पहुंच गए हैं।

इससे पहले कैफे कॉफी डे के संस्थापक, वी. जी. सिद्धार्थ, जेट एयरवेज के संस्थापक और पूर्व सीईओ, नरेश गोयल, यस बैंक के संस्थापक,राणा कपूर और फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर, मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह भी इस सीरीज में शामिल हैं। बताते है आज आपको इन उद्योगपति के बारे में –

अनिल अंबानी

2005 में विरासत में पिता से मिली संपत्ति का बंटवारा होने के बाद मुकेश-अनिल अंबानी लगभग बराबरी पर थे। परन्तु साल 2007 में अनिल के पास 45 अरब और मुकेश अंबानी की संपत्ति करीब 49 अरब डॉलर थी। साल 2008 में आई फोर्ब्स की सूची में अनिल अंबानी 42 अरब डॉलर के साथ दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। अनिल अंबानी आज से करीब 15 साल देश के शीर्ष 10 उद्योगपतियों में शामिल थे। ऐसा क्या हुआ कि अनिल अंबानी का इतना बड़ा कारोबारी सम्राज्य खत्म हो गया।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि बंटवारे में अनिल अंबानी को जो कंपनियां मिली थीं, अनिल अंबानी ने उन पर ध्यान न देते हुए कई अन्य सेक्टर में निवेश किया, जिसकी वजह से उनकी एक के बाद एक कंपनी डूबती चली गई। 2017 में रिलायंस कम्युनिकेशंस ने अपना वायरलेस कारोबार बंद कर दिया। मई 2018 में अनिल अंबानी ने इस कंपनी को बंद करने का निश्चय किया, जिसके बाद यह कंपनी दिवालिया कार्यवाही में आ गई।

मई 2019 में रिलायंस कैपिटल ने अपना म्यूचुअल फंड कारोबार बेच दिया। 2020 को रिलायंस पावर 685 करोड़ रुपये का लोन चुकाने में डिफॉल्ट हुई। वहीं रिलायंस इन्फ्रा पर 148 अरब रुपये का कर्ज चढ़ गया। इसी तरह उनकी दूसरी कंपनी भी घाटे में आने से दिवालिया होती चली गई। इस तरह आज अनिल अंबानी इस कगार पर है।

वीजी सिद्धार्थ

साल 2019 में कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने क़र्ज़ हो जाने के कारण एक नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। भारत के सफल कारोबारियों में एक ऐसा नाम, जिनकी पहचान नाम से अधिक काम से ज्यादा थी। उन्होंने 5 लाख रुपये के साथ अपने सफर की शुरुआत की थी और एक अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति के मालिक बन गए थे। फिलहाल बाद में वो कर्ज के जाल में फंसते चले गए और आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड लेटर में उन्होंने कर्जदाताओं के दबाव और आयकर अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के बारे में बताया था।

नरेश गोयल

एक समय जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल एविएशन किंग कहलाते थे। साल 1991 में जेट एयरवेज की शुरुआत की थी। देखते-देखते यह कंपनी एविएशन क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने लगी। बाद में नरेश गोयल के गलत फैसले से यह कंपनी भारी कर्ज में डूब गई। दरअसल, जेट को विदेशों के लिए उड़ाने भरने वाली एकमात्र कंपनी बनाने के लिए गोयल ने 2007 में एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपये में खरीद लिया था। तब इस फैसलों को गोयल की गलती के तौर पर देखा गया।

तब से कंपनी को वित्तीय मुश्किलों से सही मायने में कभी छुटकारा नहीं मिल पाया। जेट एयरवेज पर करीब 26 बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था और नरेश गोयल को मार्च में कंपनी के चेयरमैन के पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि ईडी इस मामले में जांच कर रही है।

राणा कपूर

हाल ही में ईडी ने यस बैंक के सह-प्रवर्तक राणा कपूर का लंदन में 127 करोड़ रुपये मूल्य का फ्लैट कुर्क किया है। ईडी ने इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पीएमएलए के तहत राणा कपूर की 2203 करोड़ रुपये की सपंत्ति अटैच की है। राणा कपूर को केंद्रीय जांच एजेंसी ने मार्च में गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह जेल में है।

मलविंदर और शिविंदर सिंह

जापानी कंपनी दाइची सांक्यो केस में दिग्गज दवा कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर भाइयों मलविंदर और शिविंदर सिंह को अवमानना का दोषी पाने पर 2019 में जेल जाना पड़ा था। दवा बनाने वाली दाइची सांक्यो ने 3,500 करोड़ रुपये नहीं चुकाने पर सिंह बंधुओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। फोर्ब्स ने 2015 में भारत के सबसे धनवानों की सूची में इन्हें एक-साथ 35वें नंबर पर रखा था। तब उनकी संपत्ति 2.5 अरब डॉलर आंकी गई थी।

साल 2008 में दोनों भाइयों की बर्बादी की कहानी शुरू हुई, फिर उन्होंने रैनबैक्सी में अपनी हिस्सेदारी जापान की कंपनी दाइची सांक्यो को 9,576 करोड़ रुपये में अपनी हिस्सेदारी बेच डाली और इन्ही पैसों में से उन्होंने साल 2009-10 में 2,000 करोड़ रुपये कर्ज और टैक्स चुकाने में खर्च किए। 1,700 करोड़ रुपये अपन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी रेलिगेयर में और 2,230 करोड़ रुपये अपने हॉस्पिटल चेन फोर्टिस में निवेश किया।

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