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म्यांमार में सेना ने किया तख्तापलट, आंग सान सू ची गिरफ़्तार

आंग सान सू ची

म्यांमार में आज सेना ने नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी पार्टी की सर्वोच्च नेता आंग सान सू ची और राष्ट्रपति विन म्यिंच समेत सत्तारूढ़ (NLD) के कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में लेकर पूरे देश में एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया गया है।

म्यांमार में सेना के टेलीविजन चैनल ने बताया कि सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। सेना ने पूर्व जनरल म्यिंट स्वी को देश का कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित कर दिया है।

म्यांमार की राजधानी नेपीटाव और मुख्य शहर यूंगन ने सड़कों पर सैनिक मौजूद हैं। देश की राजधानी नेपिटाव से सभी तरह के संचार बंद हो गया है, टीवी और मोबाइल नेटवर्क को भी ठप कर दिया गया है।

NLD  ने समर्थकों से जल्दबाजी में गलत कदम न उठाने की अपील की

सत्तारूढ़ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की प्रवक्ता मायो न्यूंट ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए सेना के इस कदम की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “आगसान सान सू ची, राष्ट्रपति विन म्यिंट और दूसरे नेताओं को तड़के सुबाह सेना ने हिरासत में ले लिया है”।

मायो न्यूंट ने अपनी पार्टी के समर्थकों से अपील करते हुए कहा कि वो जल्दबाजी में कोई गलत कदम न उठाएं और कानून के मुताबित ही चलें।

रॉएटर्स के साथ बातचीत में उन्होंने अपनी गिरफ्तारी की आशंका भी जताई थी और तब से उनका फोन भी नहीं लग रहा है।

म्यांमार में सेना ने क्यों किया तख्तापलट

गौरतलब है कि सेना की तरफ से ये कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब पिछले साल हुए 8 नवंबर को हुए आम चुनाव में सू ची की नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी ने भारी अंतर से जीत हासिल की थी, लेकिन सेना का दावा है कि चुनाव में NLD ने धांधली की है इसी मामले को लेकर म्यांमार में सरकार और सेना के बीच चुनाव नतीजों को लेकर बीते कुछ समय तनाव था।

सेना ने अपने अपने आधिकारिक बयान में इसी टकराव को आपातकाल लगाने की वजह बताया है, सेना ने कहा कि देश की स्थिरता को बचाए रखने के लिए यह ज़रूरी था।

वैसे म्यांमार में 2011 में लोकतांत्रिक सुधारों से पहले तक सैन्य सरकार ही थी, और सेना ने अब एक बार फिर से सोमवार को सत्ता सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग को सौंप दी है।

क्या हुआ था चनाव में?

पिछले साल 8 नवंबर को में हुए चुनाव में नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 83 प्रतिशत सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। म्यांमार में हुए इस चुनाव को कई लोगों को आंग सान सू ची सरकार के जनमत संग्रह के रूप में देखा। साल 2011 में सैन्य शासन ख़त्म होने के बाद से म्यांमार में ये दूसरा चुनाव था।

लेकिन म्यांमार की सेना ने इन चुनावी नतीजों पर सवाल खड़े करते हुए सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के अद्धयक्ष के खिलाफ़ शिकायत की गई है।

कौन हैं आंग सान सू ची?

आंग सान सू ची म्यांमार की आज़ादी के नायक रहे जनरल आंग सान की बेटी हैं। 1948 में ब्रिटिश राज के और म्यांमार की आज़ादी से पहले ही जनरल आंग सान की  हत्या कर दी गई थी। आंग सान सू ची उस वक्त सिर्फ दो साल की थी।

सू ची ने म्यांमार के सैन्य शासकों को चुनौती देने के लिए अपनी आज़ादी त्याग दी थी। इसीलिए सू ची को दुनिया भर में मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली महिला के रूप में देखा गया।

साल 1991 में जब सेना ने उन्हें नजरबंद कर दिया था उसी दौरान सू ची को शांति नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया। आंग सान सू ची ने 15 साल एक लंबा समय 1989 से 2010 तक नज़रबंदी में गुजारा।

लेकिन साल 2015 के नवंबर में जब म्यांमार में चुनाव हुए तो सू ची के नेतृत्व में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने भारी बहुमत के साथ एक तरफा चुनाव जीत लिया। ये म्यांमार के इतिहास में 25 में सालों में हुआ पहला चुनाव था, जिसमें आम लोगों ने खुलकर मतदान में हिस्सा लिया था।

म्यांमार के सविंधान के हिसाब आंग सान सू ची वहा कि राष्ट्रपति नहीं बन सकती हैं, क्योंकि उनके बच्चे विदेशी नागरिक हैं। लेकिन फिर भी 75 साल की सी चू को NLD  और म्यामांर लोगों को समर्थन से सर्वोच्च नेता के रूप में देखा जाता है।

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