गोरखपुर- उत्तर प्रदेश ‘अपराध प्रदेश’ बनता जा रहा है। लगातार एक बाद एक हत्याओं और अपहरण की घटनाओं ने प्रदेश सरकार के होश उड़ा दिए हैं। दो जुलाई को सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या, संजीत अपहरण हत्याकांड, गोंडा में अपहरण कांड ये कुछ घटनाएं बानगी मात्र है। अब तो अपराधियो ने मुख्यमंत्री के गृहजनपद में अपहरण कर निर्मम हत्याकांड कर सीधे सरकार को चुनौती दे डाली है। के किशोर बलराम के अपहरण और हत्या में बदमाशों ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थीं।
हत्या से पहले बलराम को यातना दी गई थीं। दोनों हाथ पीछे उठाकर तोड़ दिए गए थे। गर्दन भी टूटी थी। जांच एजेंसियों के मुताबिक, सिर को भी निर्ममता से कूंचा गया था। हत्या के बाद शव सीमेंट की बोरी में ठूंस दिया था। बोरी में डालने से पहले पैर को जोर देकर मोड़ा गया था।
शव देख पुलिसकर्मियों के उड़े होश
जब शव बोरे से निकाला गया तो एक बार पुलिस, क्राइम ब्रांच और एसटीएफ के लोगों की रूह कांप गई। कइयों की आंखों से आंसू निकल आए। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ होगा कि किशोर की हत्या से पहले कितनी यातनाएं दी गईं थीं।
किशोर बलराम के अपहरण और हत्या में उसके गांव के आसपास के ही पांच लोगों के नाम सामने आए हैं। इसमें हसनगंज जंगलधूसड़ का एक मोबाइल विक्रेता भी शामिल है। मोबाइल विक्रेता ने ही फर्जी नाम, पते पर सिम दिया था। फिरौती मांगने में इसी सिम का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने सबूतों के आधार पर मोबाइल विक्रेता समेत दो आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।
कानपुर में भी अपहरण के बाद हुई थी हत्या
कानपुर में 22 जून की रात लैब टेक्नीशियन संजीत यादव पैथालॉजी में सैंपल देने के लिए निकला था। संजीत रास्ते से ही लापता हो गया था। संजीत के पिता चमनलाल ने राहुल के खिलाफ बेटे के अपहरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।
13 जुलाई को पिता ने पुलिस के कहने पर फिरौती के 30 लाख रुपए भी दिए थे। इसके बावजूद अपहृत बेटा नहीं मिला। अब उसके हत्या होने की पुष्टि पुलिस ने कर दी है।