Behmai Kand : अपने समय में कुख्यात डकैत फूलन देवी (Phoolan Devi) क बीहड़ के बहुत सारे किस्से और कहानी है। उसी फूलन देवी ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई में 20 लोगों को एक साथ खड़ा करके गोली मार दी थी,जिनमे से 17 लोग क्षत्रिय समाज के थे। अब जब 43 सालों के बाद इस कांड पर न्यायिक फैसला आया है। फूलन देवी का हत्या करने वाले शेर सिंह राणा का कहना है की फूलन देवी ने संसद रहते हुए कोर्ट से कागजों को गायब करवा दिया था,इसी कारण बेहमई कांड (Behmai Kand) यह फैसला आने में देरी हुई है।
Behmai Kand पर आया फैसला
अपने समय की कुख्यात डकैत फूलन देवी (Phoolan Devi) ने 14 फरवरी 1981 को बेहमई में 20 लोगों की गोली मारकर हत्या की थी। इस घटना के दौरान 6 लोगों गोली लगने से घायल भी हो गए थे। इस घटना के बाद फूलन देवी (Phoolan Devi) के साथ – साथ 36 लोगों पर आरोप लगे थे।
अब 43 सालों के बाद कानपुर के एंटी डकैती कोर्ट ने इस घटना के आरोपी श्याम बाबू को आजीवन कारावास के साथ – साथ 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। वहीं इस मामले के एक और आरोपी विश्वनाथ को सबूतों के अभाव के कारण बारी कर दिया गया है। 43 सालों बाद बेहमई कांड (Behmai Kand) पर आए इस निर्णय के बाद फूलन देवी का हत्या करने वाले शेर सिंह राणा ने कहा है की न्याय नहीं हुआ है।
वीपी सिंह ने दे दिया था इस्तीफा
14 फरवरी 1981 को हुए बेहमई कांड (Behmai Kand) के बाद फूलन देवी (Phoolan Devi) मध्यप्रदेश के जंगलों में जाकर छुपी हुई ,जिसके बाद से मध्यप्रदेश की अरुण सिंह की सरकार और उत्तर प्रदेश की वीपी सिंह की सरकार फूलन देवी को सरेंडर करने के लिए लगातार संदेश पँहुचा रही थी। फूलन देवी ने मध्य प्रदेश की अर्जुन सिंह सरकार पर अधिक भरोसा जताया और मध्यप्रदेश सरकार से सरेंडर की बात रखी।
इस बीच ठाकुर समाज के ही इंस्पेक्टर मंगल सिंह चौहान ने फूलन देवी (Phoolan Devi) और मध्य प्रदेश सरकार के बीच समन्वय बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसा भी कहा जाता है की बेहमई कांड (Behmai Kand) के कारण ही उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुकीयमन्त्री वीपी सिंह ने इस्तीफा दिया था,क्योंकि वह खुद क्षत्रिय समाज से आते थे।
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