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घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत सास करा सकती है बहू के खिलाफ केस, पर उसके पिता और भाई पर नही, जानें बॉम्बे हाईकोर्ट का ये आदेश

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Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने घरेलू हिंसा मामले में एक अहम फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने यह अभिनिर्धारित करते हुए कहा कि एक सास (Mother In Law) अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत कर सकती है लेकिन बहू  के घरवालों के खिलाफ नहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (Domestic Violence Act) ,2005 के अधीन विचारणीय है, लेकिन यह बहू के पिता और भाई के विरुध्द विचारणीय नहीं है।

सास नहीं करा सकती बहू के परिवार पर घरेलू हिंसा का केस

“माना जाता है कि 2005 अधिनियम महिलाओं को सभी प्रकार की घरेलू हिंसा से बचाने के लिए बनाया गया एक सामाजिक लाभकारी कानून है। जबकि डीवी अधिनियम का उद्देश्य एक महिला को घरेलू हिंसा से बचाना है, यह सास को डीवी अधिनियम के तहत अपनी बहू के पिता और भाई पर मुकदमा चलाने का अधिकार नहीं देता है।” न्यायमूर्ति नीला गोखले (Neela Gokhale) ने शुक्रवार को कहा।

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के न्यायमूर्ति गोखले महिला,उसके पिता और उसके भाई द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत महिला की सास द्वारा दायर शिकायत को रद्द करने की मांग की गई थी।

2017 में हुई थी शिकायत

बहू, जरीना (बदला हुआ नाम) के पिता और भाई ने सतारा मजिस्ट्रेट की शिकायत और नवंबर 2018 के समन को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) का रुख किया था। जरीना की शादी मई 2026 में हुई थी। उसके पति और परिवार ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे जबरदस्त क्रूरता का शिकार बनाया। जरीना ने दिसंबर 2017 में अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ डी.वी अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। उसकी सास ने भी डीवी शिकायत दर्ज कराई। जरीना के वकील सुशील उपाध्याय ने कहा कि पक्षों के बीच कभी भी कोई साझा परिवार नहीं था और उनके मुवक्किव उन श्रेणियों में फिट नहीं होते हैं जिनके खिलाफ डी.वी शिकायत दर्ज की जा सकती है।

क्या कहा हाई कोर्ट ने

न्यायमूर्ति गोखले ने कहा कि शिकायत से पता चलता है कि जरीना के पिता और भाई के कभी भी उसकी सास के साथ घरेलू संबंध नहीं थे। हालांकि, सास ने दावा किया कि जरीना के पिता उसके पति के चचेरे भाई थे और इसलिए शादी के बाद उससे संबंध रखते थे। बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि हालांकि, पूरी शिकायत से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि इन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए आरोप जरीना के पिता और भाई के रूप में उनकी क्षमता में हैं, नि कि उसके वैवाहिक संबंध के माध्यम से। न्यायमूर्ति गोखले ने कहा कि किसी न किसी तरह से इन याचिकाकर्ताओं को घरेलू संबंधों में फिट करने के लिए सास का अक्षम प्रयास दूरगामी है और इसलिए यह विफल है।

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