नई दिल्ली: देश में मानसून अब करवट लेने की तैयारी में है। वहीं बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान की स्थिति पैदा हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तरी अंडमान सागर में 9 अक्टूबर को कम दबाव का क्षेत्र बन सकता है। जिसके चक्रवाती तूफान बनकर आंध्र प्रदेश व ओडिशा के तटीय इलाके की तरफ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
बता दें कि कम दबाव वाले क्षेत्र से ओडिशा व तटीय आंध्र प्रदेश में 11-13 अक्टूबर के बीच बारिश भी हो सकती है। साथ ही बंगाल की खाड़ी में बने इस कम दबाव के क्षेत्र के चलते अभी मुंबई में बारिश का सिलसिला जारी रहेगा।
वहीं स्कायमेट के मुताबिक, ये प्रक्रिया आने वाले 48 घंटों तक बंगाल की खाड़ी में ओडिशा व इससे सटे भागों के आस-पास बनी रहेगी। जिसके बाद ये ओडिशा के ही रास्ते जमीनी भागों की तरफ भी बढ़ेगी। जो 10 अक्टूबर तक ये छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश से गुजरते हुए महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में पहुंच सकता है। बता दें कि इसका प्रभाव पूर्वी यूपी से लेकर एमपी, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना व गुजरात तक नजर आयेगा।
साल 2013-14 में आया था चक्रवाती तूफान फेलिन-हुदहुद
बता दें, अक्टूबर में भी बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान आता है। साल 2013-14 के अक्टूबर माह में भयानक चक्रवाती तूफान फेलिन और हुदहुद आया था। जिसने ओडिशा व आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके को तहस नहस कर दिया था। वहीं दक्षिण पश्चिम मानसून साल 2020 में वापसी के रास्ते पर है। इसके जाने की शुरुआत 11 दिनों की देरी से 28 सितंबर 2020 को शुरू हुई। वहीं 30 सितंबर को मानसून ने जम्मू कश्मीर से लेकर गिलगित-बालटिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलविद कह दिया।
आने वाले 2-3 दिनों में उत्तरी एमपी के कई हिस्सों, राजस्थान के करीब सभी इलाकों व यूपी के कुछ क्षेत्रों से मानसून के वापस होने की संभावना है। हालांकि, मध्य भारत के बाकी हिस्सों व पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों से इसकी वापसी अभी रुक सकती है, क्योंकि एक निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी पर बना हुआ है।
वहीं निम्न दबाव के रूप में उठी ये प्रक्रिया आने वाले एक सप्ताह तक अस्तित्व में रहेगी। जिसकी कारण पूर्वी दक्षिण पूर्वी हवाएं देश के कई राज्यों पर चलती रहेगी। ये उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए 9-10 अक्टूबर तक पश्चिमी मध्य प्रदेश व इससे सटे गुजरात के पास पहुंच जाएगा। जिसके बाद बारिश की गतिविधियां भी पश्चिमी दिशा में बढ़ती रहेंगी और 9-10 अक्टूबर के बाद ये प्रक्रिया कमजोर होते हुए गुजरात को पार कर जाएगी और फिर से मॉनसून की वापसी शुरू होगी।
पूर्वानुमान गलत साबित हुए
दिल्ली में 18 फीसदी तक मौसम पूर्वानुमान गलत साबित हो रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 25 से 30 फीसदी तक पूर्वानुमान गलत ही निकलते हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि वायुमंडलीय विज्ञान में सौ फीसदी सटीकता मुमकिन नहीं है। मौसम तो बदलता रहता है। जलवायु परिवर्तन से एक्स्ट्रीम इवेंट्स भी बढ़ रहे हैं। फिर भी अधिकतर पूर्वानुमान सटीकता के करीब होते हैं।