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रोजगार के लिए दिल्ली आया, पहने बना हवलदार फिर किसान बेटा बना IAS, ऐसी है संघर्ष कहानी

रोजगार के लिए दिल्ली आया, पहने बना हवलदार फिर किसान बेटा बना Ias, ऐसी है संघर्ष कहानी

क्या आप सोच सकते है एक कांस्टेबल, आईपीएस भी बन सकता है. जी हाँ ये कारनामा कर दिखाया है दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल जैसे छोटे पद काम करने वाले विजय सिंह गुर्जर ने, विजय ने राजस्थान के एक छोटे से गाँव से निकल कर आईपीएस जैसी सम्मानित पोस्ट हासिल कर ली है. कहते है अगर आपने मन में कुछ बड़ा करने की ठान ली है, तो आप वो सब पा सकते है जो आप सोच सकते हों.

आइये जानते हैं कैसे विजय ने कांस्टेबल की नौकरी करते हुए आईपीएस जैसी सम्मानित पोस्ट हासिल करके अपने सपने को सच करके दिखाया

दिल्ली : किसान परिवार से है आईपीएस विजय

राजस्थान के एक छोटे से गाँव से रिश्ता रखने वाले विजय सिंह गुर्जर ने अपना बचपन खेतों में काम करके बिताया है, फलस्वरूप विजय के अंदर मेहनत करने की काबिलियत तो बचपन से ही आ गयी थी. विजय के पिता एक किसान है और उनकी माता एक हॉउस वाइफ है, हालाँकि उनके पिता की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर थी लेकिन उन्होंने अपने बच्चो की पढाई कोई कमी नहीं होने दी. विजय ने अपनी शुरूआती पढाई गाँव के सरकारी स्कूल से ही की थी.

विजय अपने बचपन के दिन याद करके बताते है, कि कैसे उनके पिता ने उनको बचपन से ही मेहनत करना सिखाया था, जिसकी वजह से आज विजय आईपीएस जैसे सम्मानित पद पर काबिज है. वो बताते है कि उनके पिता उन्हें और उनके भाइयों को सुबह 3-4 बजे उठा देते थे. जिसके बाद वो खेत में काम करके आठ बजे तक स्कूल चले जाया करते थे, ठीक यही नियम शाम को दोहराया जाता था. इस तरह के माहौल में विजय का बचपन बिता था.

दोस्त के खर्चे पर बने थे दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल

विजय के गांव में सरकारी नौकरी वालो को समाज में अलग ही नजरो से देखा जाता था. इसीलिए विजय ने  भी सरकारी नौकरी करने का फैसला कर लिया था, तभी उनके दोस्त ने उन्हें दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की भर्ती के बारे में बताया. जिसके बाद ने उनके दोस्त ने उन्हें अपने खर्चे पर तैयारी करने को कहा, विजय को अपने दोस्त का आइडिया अच्छा लगा और वो दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बन गए.

पुलिस महकमे में नहीं लगा दिल और सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी

विजय को दिल्ली में नौकरी करते हुए प्रोमोशन मिल गया था, और उनकी जगह कोई और होता तो इस पद में खुश रहता और अपना जीवन निर्वहन करता. लेकिन विजय को ऐसा लगता था की इस पद पर काम करते हुए वो युवाओं के लिए कुछ खास नहीं कर सकते.

इसलिए विजय ने दिल्ली में अपनी ड्यूटी करते हुए बिना किसी कोचिंग और किसी की सलाह के बिना आईपीएस की तैयारी शुरू कर दी. अब उनको जैसे ही समय मिलता वो पढाई करने बैठ जाते इससे उनके सीनियर्स बहुत खुश होते थे.

हालाँकि विजय सिंह गुर्जर को कई बार असफल होना पड़ा. कई असफल प्रयासों के चलते एक बार वो साक्षात्कार तक पहुंच गये थे, लेकिन किसी कारण के चलते रह गये फलस्वरूप उनको इस बार ये पता चल गया की बस थोड़ी सी मेहनत और की जाए तो काम बन सकता है. आखिरकार 2017 के बैच में उन्होंने सारे बंधन तोड़ कर सिविल परीक्षा के तीनों चरणों को पार कर लिया, और 2018 में उनको पोस्टिंग मिल गयी.

अपनी सफलता के बारे में विजय बताते है कि, अगर वो कर सकते है तो कोई भी कर सकता है. जरुरत है तो बस अपनी कमियों को पहचान कर उन्हें दूर किया जाए.

HINDNOW.COM विजय सिंह गुर्जर को उनकी सफलता की बधाइयाँ देते हुए उनकी लम्बी आयु की कामना करता है. ऐसे ही सच्ची कहानियों को पढ़ने के लिए बने रहिये हमारे साथ और पाइए ऐसी ही  मोटिवेशन से भरपूर कहानियाँ.

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