नई दिल्ली- जम्मू कश्मीर में धारा 370 के समाप्त हुए 1 वर्ष से ज्यादा हो गया है। पर इसको लेकर जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के विवादास्पद बयानों का सिलसिला लगातार जारी है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य के लोग खुद को भारतीय नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि न ही कश्मीरी खुद को भारतीय मानते हैं और न ही भारतीय होना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने दावा किया कि वहां लोग चाहते हैं कि चीन उन पर शासन करें। ईमानदारी से कहूं तो मुझे हैरानी होगी अगर उन्हें (सरकार) वहां कोई ऐसा शख्स मिल जाता है जो खुद को भारतीय बोले।
कश्मीरियों को हुकूमत पर कोई भरोसा नहीं रह गया
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं यह आपको साफ कर दूं कि पिछले साल 5 अगस्त को मोदी हुकूमत ने जो किया, वह ताबूत में आखिरी कील था। उन्होंने ये भी कहा कि यह जम्मू कश्मीर के लोगों का मूड है क्योंकि कश्मीरियों को हुकूमत पर कोई भरोसा नहीं रह गया है। बंटवारे के वक्त वादी के लोगों का पाकिस्तान जाना आसान था, लेकिन तब उन्होंने गांधी के हिंदुस्तान को चुना था न कि मोदी के हिंदुस्तान को।
हर गली में एके 47 लिए हुए सुरक्षाकर्मी खड़ा है
केंद्र पर निशाना साधते हुए फारूक अब्दुल्ला ने दावा किया कि अगर वे घाटी में कहीं भी भारत के बारे में कुछ बोलते हैं तो कोई उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा, वहां हर गली में एके 47 लिए हुए सुरक्षाकर्मी खड़ा है। आजादी कहां है?
अब्दुल्ला ने कहा कि मध्य कश्मीर में आज भी मुठभेड़ जारी है। कोई शांति नहीं है। जब तक हम यह नहीं सोचते कि पिछले साल 5 अगस्त को उठाया गए कदम सही हैं या नहीं। उन कदमों को वापस लिए जाने के बाद ही शांति आएगी। इसके बिना शांति नहीं हो सकती है।
आपको बता दें कि इससे पूर्व भी फारूक अब्दुल्ला लगातार विवादास्पद बयानबाजी करते रहे हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी लगातार भारत विरोधी बयानबाजी को लेकर चर्चा में रहती हैं।