कानपुर के स्वरूपनगर बालिका बाल गृह में 50 लड़कियों के कोरोना संक्रमित होने से जहाँ एक ओर महिला कल्याण विभाग की रातो की नींद उड़ा दी है, तो वहीं दूसरी ओर इस खबर ने तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं. जिला प्रशासन से लेकर विभाग की कार्यप्रणाली पर भी कई सवालिया निशान उठ रहे हैं.
मामला तब और गंभीर हो गया ज़ब उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सीमा सिंह ने ही विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया. इसी के साथ उन्होंने एक लेटर जारी कर प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों को बाल संरक्षक गृह समेत सभी राजकीय आश्रमों में कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन कराने का निर्देश दिया.
साथ ही राजकीय बालिका संरक्षण गृह कानपुर नगर की बालिकाओं के बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव आने पर चिंता जताई. उन्होंने निर्देश दिया है कि सभी बालिका, महिलाओ और बालिका गृह की कोरोना रिपोर्ट कि सूचना समय-समय पर उपलब्ध कराई जाती रहे.
उनकी ओर से सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा गया है, जिसमें समाज कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, दिव्यांगजन कल्याण विभाग द्वारा संचालित बालिका व संप्रेषण ग्रहों, मूक-बधिर बालिकाओं के विद्यालय वृद्ध आश्रम, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय, दिव्यांगजन आदि के लिए संचालित सभी संस्थान, अनाथालय, महिला बंदी ग्रहों की बालिकाओं एवं महिलाओं की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने को कहा गया है.
पत्र में उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि गृह में महिलाएं व कर्मचारी मास्क का इस्तेमाल ज़रूर करें, सैनिटाइजेशन और सामाजिक दूरी के नियमों को माने साथ ही भोजनालय एवं शौचालय में सफाई रखने के निर्देश भी उन्होंने दिए.
यहां बता दे कि कई दिन पहले एक अनाथ बालिका संस्थान मे लाइ गईं थी. उसकी कुछ तबियत खराब होने पर कोरोना टेस्ट कराया गया. उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर संस्थान मे साथ मे रखी गईं सभी लड़कियों का ज़ब टेस्ट हुआ और कुछ कि रिपोर्ट आई तो 50 लड़कियां पॉजिटिव पाई गईं.
हालांकि अभी शेष लड़कियो कि रिपोर्ट नहीं आई है. अब यहाँ सवाल ये उठता है कि कोरोना संक्रमण के इस खतरनाक संकट के बीच विभाग ने बिना कोरोना जाँच कराये बालिकाओं को कैसे सभी संवासिनीयों के साथ रख दिया. जबकि पहले ही डायरेक्टर स्तर से ये निर्देश है कि किसी भी नई बालिका, महिला और बालक को संस्थान मे सभी के साथ शामिल करने से पहले कोरोना जाँच कराने और रिपोर्ट आ जाने के बाद ही सभी के साथ रखा जाए. बावजूद इसके इतनी बड़ी चूक संस्थान और जिम्मेदारों की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगाती है.
गौरतलब है कि संस्थान मे वर्तमान मे संस्थान की क्षमता से अधिक करीब 200 लड़कियां रह रही हैं. बालिका गृह से लगा हुआ ही महिला आश्रम भी है, ऐसे मे और भी एहतियात बरतने की आवश्यकता है, क्यूंकि महिला आश्रम मे महिलाओ के साथ उनके बच्चे भी रहते हैं. हालांकि 24 लड़कियो को हॉस्पिटल मे एडमिट कराया गया है और बाकि को संस्थान मे ही क्वॉरेंटाइन किया गया है. संस्थान मे एक हॉल के अलावा दो छोटे कमरे हैं, जिनमे बालिकाओं को क्वॉरेंटाइन किया गया है.
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