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भारत के “दीपक” ने करोड़ो भारतीयों के लिए दांव पर लगा दी अपनी जान, पहला वैक्सीन परीक्षण सफल

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नई दिल्ली: विश्व में जिस तरह से कोरोनावायरस की रफ्तार बढ़ रही है ठीक उसी तरह से एक सवाल लोगों के दिमाग में आ रहा है कि कोरोना की वैक्सीन कब आएगी। कब लोगों पर इसका परीक्षण होगा। पूरी दुनिया में सैकड़ों देशों में इसके लिए रिसर्च चल रही है इसी बीच ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बनाई जा रही कोरोना की वैक्सीन का इंसानों पर किया गया पहला परीक्षण सफल हुआ है साथ ही एक बड़ी खबर भी सामने आई है जो भारत के लिए बेहद गौरवान्वित करने वाली है।

दांव पर लगा दी जान

इस वक्त जब कोरोनावायरस की वैक्सीन को लेकर लोगों में उत्सुकता और इंतजार है। ऐसे में भारतीय मूल के ब्रिटेन के एक निवासी ने अपनी जान दांव पर लगाते हुए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की कोरोना की वैक्सीन का पहला इंसानी परीक्षण खुद पर करवाया है जो कि भारतीयों के लिए बेहद गौरवान्वित करने वाली बात है। इस शख्स का नाम दीपक पालीवाल है जो मूल रूप से जयपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने इस वैक्सीन के लिए अपनी जान दांव पर लगाने का रिस्क लिया है।

सफल होगी कोरोना की वैक्सीन

दीपक पालीवाल ने मानवीय सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिसके लिए उनकी सराहना की जा रही है। इस बीच ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ‌के मुताबिक जो जानकारी दी गई है वो और अधिक उत्साह बढ़ाने वाली है।

जानकारी के मुताबिक दीपक पर किया गया इस कोरोना की वैक्सीन का ये पहला परीक्षण पूर्ण रूप से सफल रहा है। विश्वविद्यालय के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को पूर्ण विश्वास कि ये वैक्सीन सफल होगी और 2020 तक ये सभी के लिए बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी।

लगा था थोड़ा‌ सा‌ डर

कोरोना की पहली वैक्सीन का खुद पर परीक्षण कराने वाले दीपक ने बताया कि उनके मन में डर था क्योंकि उनके घर का कोई भी सदस्य ब्रिटेन में नहीं था जिसके चलते वो लोग एक दूसरे को देख भी नहीं सकते हैं। ऐसे में उन्होंने ये वैक्सीन के ट्रायल में वॉलंटियर करने का अहम फैसला किया।

उन्होंने कहा कि सभी तरह के क्लीनिकल ट्रायल में डर होता है लेकिन अगर ऐसा‌ सोचा जाएगा तो फिर कोई दवा या वैक्सीन कभी बन ही नहीं पाएगी मैनें सोच लिया था कि मानव सभ्यता के लिए मैं ये काम करूंगा।

खुश हैं दीपक की मां

किसी भी मां को गर्व होता है जब बेटा किसी भी तरह का अच्छा कार्य करता है। ऐसे ही दीपक की मां भी इस समय गौरवान्वित महसूस कर रही हैं कि उनकेे बेटे ने इतना बड़ा साहसिक कार्य किया और उसके लिए उन्होने दीपक को आशीर्वाद देने के साथ ही परमार्थ करते रहने की सलाह दी है।

उन्होंने कहा कि मुझे अपने बेटे के लिए डर लग रहा था लेकिन मैंने ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए मना नहीं किया क्योंकि ये एक अच्छा कार्य है और अंततः वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन का दीपक पर सफल प्रभाव हुआ है जो कि बेहद खुशी की बात है।

 

 

 

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