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पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की 93 वर्षीय धर्मपत्नी ने कोरोना को दी मात, हुई ठीक

पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की 93 वर्षीय धर्मपत्नी ने कोरोना को दी मात, हुई ठीक

कोरोनावायरस ने भारत में अपने पांव कुछ यूं पसारे है कि कोई भी इसकी जद में आ सकता है। ये वायरस किसी को भी अपना‌ निशाना बना‌ रहा है। ताजा मामला‌ भारत के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की विमला वर्मा का है जो कि कोरोनावायरस से संक्रमित है गईं‌ थीं। उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था और वहां उनका डॉक्टरों की देखरेख में विशिष्ट रुप से इलाज किया जा रहा था।

कौन थे शंकर दयाल शर्मा

शंकर दयाल शर्मा भारत के नौवें राष्ट्रपति थे। जिनकाकार्यकाल 1992 से 1997 तक का था, वो भारत के उपराष्ट्रपति रह चुके थे। वह 1952 से 1956 के बीच तत्कालीन भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री भी थे। आपको बता दें कि उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भारतीय राजनीति उतार-चढ़ावों की गवाह रही, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान नरसिंहा राव से लेकर इंद्र कुमार गुजराल, एचडी देवेगौड़ा और 13 दिन‌ की सरकार वाले अटल बिहारी बाजपेई को भी प्रधानमंत्री ‌के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी।

घर पहुंचीं विमला शर्मा

परिवार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 93 वर्षीय विमला शर्मा का 5 जून कोऑक्सीजन लेवल बेहद कम हो गया था और इसके चलते उनका कोरोनावायरस का टेस्ट किया जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव थी। कोरोनावायरस का ख़तरा देख उन्हें एम्स में एडमिट कराया गया और अच्छी ख़बर ये‌ पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पत्नी विमला शर्मा को 25 जून को एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

कैसे पॉजिटिव आई रिपोर्ट

कोरोनावायरस का संक्रमण कैसे फैल रहा है ये कहना बहुत मुश्किल है। शंकर दयाल शर्मा के बेटे आशुतोष दयाल शर्मा ने पत्रकारों से बात करतै हुए कहा,

“उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, ये हैरान करने वाला था क्योंकि वो घर से बाहर नहीं जाती हैं। हम उन्हें एम्स  लेकर भागे। पहले चार दिन उनकी हालत थोड़ी बिगड़ी।उनकी उम्र 93 साल है लेकिन वायरस की वजह से उन्हें खोना बहुत बुरा होता।”

ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं विमला

परिवार ने बताया है कि विमला‌ कोरोनावायरस से नेगेटिव हैं इसलिए उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है लेकिन अभी भी चिंता बनी हुई है क्योंकि वो प्रति घंटे 2-3 ,लीटर नेजल ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। वहीं इन सबसे इतर एम्स के एक विरिष्ठ डॉक्टर ने बताया है कि एंटीबायोटिक्स के अलावा उन्हें हाई फ्लो नेज़ल कैनुला में रखा गया है। ये ऐसी टेक्निक है, जिसकी मदद से बड़ी मात्रा में शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाई जा सकती है। इससे फायदा न होने पर ही मरीज को वेंटिलेटर में रखा जाता है।

 

 

 

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