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हरसिमरत कौर बादल ने क्यो कहा कि आज लोकतंत्र का काला दिन है

हरसिमरन कौर बादल

दस राजनीति दलों के लगभग 15 सांसदों के साथ आज दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर बॉर्डर पर पहुंचने के दौरान, हरसिमरत कौर बादल को पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद, उन्होंने सरकार की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र का काला दिन करार दिया है।

पुलिस गाजीपुर बॉर्डर पर जाने से रोक रही है, हरसिमरत कौर बादल

 

गाजीपुर बॉर्डर पहुंचकर अकाली दल की नेता और सांसद हरसिमरत कौर बादल ने पत्रकारों से कहा, हम यहां हैं ताकि हम संसद में किसानों के प्रदर्शन पर चर्चा कर सकें। स्पीकर हमें यह मुद्दा संसद में उठाने नहीं देते। अब सभी राजनीतिक दल, इस दौरे के बाद उन्हें किसान प्रदर्शन की जानकारी देंगे”।

बदल के साथ एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि “हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वो किसानों से बात करे। किसानों के साथ न्याय होना चाहिए। उनकी बात सुनी जानी चाहिए।

विपक्षी दलों का यह जत्था बसों से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा, यह विपक्षी नेता किसान प्रदर्शन की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर से पहले पुलिस प्रशासन ने इन नेताओं को बीच में ही रोक लिया था।

बादल ने कहा हम किसानों का हाल पूछने आए हैं

पुलिस प्रशासन के रोके जाने के बाद अकाली दल की नेता और सांसद हरसिमरत कौर बादल ने पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद सरकार की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र का काला दिन करार दिया है।

पत्रकारों से बात करते हुए बादल ने कहा, “हम अपने लोगों से बात करने आए थे। हम चुने हुए प्रतिनिधि हैं। हम कोई दंगा फसाद करने या भड़काने के लिए नहीं आए हैं, हम सिर्फ अपने लोगों का हालचाल पूछने के लिए आए हैं। लेकिन ये पुलिस प्रशासन हमें जाने नहीं दे रहा है”।

ट्वीटर पर भी रखी हरसिमरत ने अपनी बात

हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट किया है, “अकाली दल उन विचारों वाली पार्टियों और सांसदों के साथ हाथ मिलाता है जो किसानों पर हो रहे अत्याचारों की निंदा करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर आई है। यहां तक कि सांसदों को शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। यह वास्तव में लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है!”

 

एक और अन्य ट्वीट में हरसिमरत कौर बादल कहा, “ देखिए, बीजेपी नेतृत्व वाली भारतीय सरकार किस तरह सांसदों के साथ भी मनमानी कर रही है। हमें शांतिपूर्ण धरनास्थल तक जाने के रास्ते में तीन किलोमीटर पहले ही उतार दिया गया। लेकिन हम अडिग हैं। हम खुद जाकर अपनी आँखों से स्थितियों को देखना चाहते हैं और सरकार को कार्यवाई करने के लिए विवश करना चारते है”।

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