उत्तर प्रदेश कानपुर चौबेपुर के बिकरू गांव में हुई वीभत्स वारदात में दबिश देने गई पुलिस टीम द्वारा एक साथ हुई तमाम चूकों से यह साफ जाहिर होता है कि जहां एक ओर पुलिस अपनी आधी अधूरी तैयारी के साथ अपराधी को पकड़ने पहुंची थी, तो वहीँ हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने पूरा चक्रव्यूह ही रचा रखा था. उसे पुलिस के पहुँचने का टाइम तक मालूम था, इसीलिए तो उसने ऐसा मकड़ी का सा जाल बिछाया कि पुलिस का हर एक जवान आसानी से फंस गया और पुलिस प्रशासन को अधिकारी सहित 8 जवान खोने पड़े.
सबसे बड़ी बात कि जिस समय पुलिस गांव के अंदर जाने वाली सड़क पर पहुंची, तो बीच में जेसीबी खड़ी करके रास्ता को रोक दिया गया. तो दूसरी ओर स्टेशन पर फॉल्ट के नाम पर बिजली भी उसी समय कटवा दी गई थी. इससे पूरे गांव में अंधेरा था, जिसका फायदा हर एक बदमाश ने बड़ी ही आसानी से उठाया. उधर रास्ता बंद होने की वजह से जैसे ही पुलिस कर्मी अपनी गाड़ियों से उतरे कि उन पर गोलियों की बौछार शुरू हो गई थी, जो किसी बिजली के झटके से कम नहीं था.
जानिए घटना स्थल की हकीकत प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी…..
बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि वह भी दबिश टीम में शामिल थे. उनके मुताबिक जैसे ही गांव के पास पुलिस की गाड़ियां रुकी पलक झपकते ही 20 राउंड गोलियां चलने लगी. कुछ समझ नहीं आया की जान बचा कर किधर भागे, कि तभी विकास के घर के दूसरे दरवाजे से दर्जनों लोग एक साथ फायरिंग करते हुए बाहर निकले. तब लगा कि नहीं बच पाऊंगा. फिर गोली लगी बदमाशों को लगा कि मैं मर गया इसके बाद बदमाश वहां से चले गए. चुंकि अंधेरा इतना ज्यादा था कि पुलिस को समझ नहीं आया कि कहाँ-कहाँ से गोलियां आई. इसी अँधेरे का फायदा उठाकर बदमाशों ने कई पुलिसकर्मियों के एकदम पास जाकर गोली मारी.
तड़पने की आवाज़ से मालूम हो रहा था कि गोली लगी है किसी सिपाही को….
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश टीम के साथ गए चौबेपुर के सिपाही मोहम्मद अजमल ने बताया कि हम लोगों के पोजीशन लेने से पहले ही गोलियां बरसनी शुरू हो गई थी. अंधेरे के कारण सभी इधर-उधर जान बचाकर भागने लगे इसी दौरान कई पुलिसकर्मियों को गोली लग गई थी.
बिठूर थाना अध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह के हमराही विकास बघेल ने बताया कि जैसे ही हम लोगों ने विकास के घर के दरवाजे पर कदम रखा गोलियों की आवाज़ से पूरा इलाका गूंज उठा. लग रहा था कि जैसे छत पर 50 से 60 बदमाश मौजूद है. अंधेरा होने से कुछ समझ नहीं आ रहा था.
बदमाश बिना रुके गोलियां बरसा रहे थे. हम लोग किसी तरह घायल पुलिसकर्मियों को गाड़ी से लेकर आए. मौके पर मौजूद सिपाहियों ने बताया कि विकास दुबे के घर के आस-पास इतना अंधेरा था कि पता नहीं चल पा रहा था कि गोली किसको लगी. ज़ब किसी के तड़पने की आवाज़ आती तो पता चलता कि किसी को गोली लगी है.
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