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भारत-चीन विवाद: भारत से ज्यादा है चीन का सैन्य खर्चा, फिर भी युद्ध हुआ तो भारत देगा ड्रैगन को मात

भारत-चीन विवाद: भारत से ज्यादा है चीन का सैन्य खर्चा, फिर भी युद्ध हुआ तो भारत देगा ड्रैगन को मात

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद बढ़े भारत-चीन विवाद में गतिरोध के कारण दोनों देशों में एक दूसरे के प्रति आक्रोश बढ़ गया है। भारत-चीन विवाद को लेकर भारत सरकार सैन्य शक्तियों को बढ़ाने के साथ ही आर्थिक स्थिति में भी चीन को झटका दे रहा है लेकिन युद्ध की बन रही स्थितियों को लेकर दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं खी तुलना भी की जा रही है।

ज्यादा खर्च करता है चीन

भारत-चीन विवाद के बीच अगर विश्लेषण करते हुए नजर दौड़ाएं तो भारत की अपेक्षा चीन अपने सैन्य बजट में कहीं ज्यादा खर्च करता है और अपने रक्षा से जुड़े साजों-सामान में आए दिन इजाफा करता रहता है। लेकिन जब भारत के साथ चीन की तुलना की जाती है तो भारत चीन पर भारी पड़ता है और ये चीन के लिए झटके की तरह है।

तगड़ा है सेना का युद्धाभ्यास

भारत-चीन विवाद अगर आगे बढ़कर युद्ध के मुहाने पर जाता है तो ये चीन के लिए नुकसानदायक हो सकता है। जिसका वजह है भारतीय सेनाओं का तगड़ा युद्धाभ्यास। भारतीय सेना अमेरिका, जापान, रूस, फ़्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे राष्ट्रों की सेनाओं के साथ युद्धाभ्यास करती है और ये भारत के लिए एक एज फेक्टर है क्योंकि भारत की अमेरिकी इंटेलिजेंस मदद भी कर सकता है। ऐसे में चीन का भारत के सामने खड़ा होना बेहद मुश्किल होगा।

संख्या बल में मजबूती भारत

चीन के पास भारत से दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हो सकते हैं लेकिन टैंक व तोप के लिहाज से भारत कहीं ज्यादा मजबूत है। हमारे पास 4,200 से अधिक टैंक हैं, जबकि चीन के पास 3,500 टैंक हैं। वहीं, चीन  के पास साढ़े तीन हजार तोपें हैं तो हमारे पास चार हजार से ज्यादा तोपों का जखीरा है। सैनिकों की संख्या में तो भारत दुनिया में इस वक्त सबसे बड़ी सेना है।भारत के पास 35 लाख सैनिकों की सबसे बड़ी सेना है हैं तो चीन के पास  27 लाख ही हैं जो भारत-चीन विवाद के इस दौर में भारत के आगे काफी पीछे है।

ज्यादा खतरनाक फाइटर प्लेन्स

चीन के पास ज्यादा लड़ाकू विमान होने के बावजूद भारत के लड़ाकू विमान ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर सकतें हैं। भारत के लड़ाकू विमान मिराज-2000 और सुखोई एसयू-30 हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम हैं, जबकि चीन का सिर्फ जे-10 विमान ही हर मौसम में उड़ान भर सकता है। वहीं जे-11 और एसयू-30 में यह क्षमता नहीं है और ये भारतीय लड़ाकू विमानों के आगे नहीं टिकते हैं।

भारत देगा तगड़ा जवाब

अंतरराष्ट्रीय रिसर्च के मुताबिक चीन के हमलों का जवाब देने में भारत अच्छी क्षमता रखता है। दरअसल, चीन के खिलाफ भारत की थल सेना उत्तरी, मध्य और पूर्वी कमांड में, वायु सेना पश्चिम, मध्य और पूर्वी वायु कमांड में संगठित और बहुत मजबूत स्थिति में है। चीन से लगती सीमा पर भारतीय सेना के हमलावर बल की संख्या करीब सवा दो लाख है जो चीन पर भारी पड़ेगे।

जिनमें से लद्दाख में 3 हजार कर्मी टी-72 टैंक ब्रिगेड और करीब एक हजार सैनिक अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइल रेजीमेंट में हैं। वहीं, वायुसेना के 270 लड़ाकू विमान और 68 हमलावर विमान चीन सीमा पर मौजूद हैं। थल सेना और वायुसेना चीनी सीमा के करीब होने से कम समय में जल्दी जवाब देने में सक्षम है। ऐसे में अगर भारत-चीन विवाद युद्ध की स्थिति फर जाता है तो भारत का पलड़ा और भारी रहेगा‌।

परमाणु क्षमता वाले देश

दोनों ही दे परमाणु हथियारों से लैस हैं। आज के दौर में

युद्ध बेहद मुश्किल है लेकिन ये किसी भी युद्ध में निर्णायक साबित हो सकता है साथ ही विपक्षी देश के दिमाग में एक साइकोलॉजिकल वॉर का भी काम करता है। चीन के पास भारत से ज्यादा परमाणु हथियार हैं साथ ही 6,700 कगमी तक वार करने वाली मिसाइलें हैं लेकिन भारत के पास भी चीन से निपटने के लिए पर्याप्त परमाणु हथियार हैं वहीं अग्नि-3,4,5 सभी परमाणु क्षमता से लैस मिसाइले है जो चीन में परमाणु हथियारों से तबाही मचा सकते हैं।

उलझी है चीन की सेना

सेनाओं की बात करें तो चीन के पास एक बड़ी सेना है लेकिन मुश्किल ये है कि उसका बॉर्डर भी बड़ा है। रूस, ताइवान समूत कई छोटे-बड़े देशों के साथ उसके बिगड़े संबंधों और साउथ चाइना सी के इलाक़े में चीन की बड़ी सेना उलझी हुई हुई है वहीं भारत में पाकिस्तान और चीन के साथ ही मुश्किलें हैं ऐसे में भारत-चीन विवाद के बीच चीन का भारत से उलझना उसके लिए मुसीबत बन सकता है।

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