IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड (IND vs ENG) के बीच चल रही हाई-वोल्टेज टेस्ट सीरीज के बीच भारतीय क्रिकेट को एक ऐसा झटका लगा, जिसने खिलाड़ियों और प्रशंसकों—दोनों को सन्न कर दिया। जैसे ही लीड्स टेस्ट का रोमांच चरम पर था, उ
सी वक्त क्रिकेट जगत से एक दुखद खबर आई कि भारत का एक अनुभवी और मशहूर स्पिन गेंदबाज़ हमेशा के लिए मैदान छोड़ गया। क्रिकेट के गलियारों में सन्नाटा पसर गया—जैसे समय एक पल के लिए थम गया हो।
IND vs ENG टेस्ट सीरीज के बीच दिग्गज भारतीय का निधन
भारत-इंग्लैंड (IND vs ENG) टेस्ट सीरीज के बीच जिस भारतीय दिग्गज का निधन हुआ है वो कोई और नहीं बल्कि पूर्व बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज़ दिलीप दोशी (Dilip Doshi) हैं, जिनका सोमवार को 77 वर्ष की उम्र में लंदन में निधन हो गया है।
दोशी अपने पीछे पत्नी कालिंदी, बेटे नयन और बेटी विशालखा को छोड़ गए हैं। हालांकि वह लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर थे, मगर उनका जाना आज भी क्रिकेट प्रेमियों को उसी तरह आहत करता है, जैसे किसी वर्तमान खिलाड़ी का अचानक जाना।
यह भी पढ़ें-टेस्ट सीरीज के बीच इस टीम को लगा झटका, धाकड़ तेज गेंदबाज हुआ चोटिल, बोर्ड ने किया रिप्लेसमेंट का ऐलान
देर से किया डेब्यू, लेकिन छोड़ी गहरी छाप
दिलीप दोशी ने भारत के लिए 1979 से 1983 के बीच क्रिकेट खेला। 32 वर्ष की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले दोशी ने 33 टेस्ट मैचों में 114 विकेट अपने नाम किए, जिसमें 6 बार पांच विकेट लेने का कारनामा शामिल है।
दिलीप दोशी ने भारत के लिए 15 वनडे में 22 विकेट झटके। घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन और भी प्रभावशाली रहा—238 प्रथम श्रेणी मैचों में 898 विकेट, 43 बार पारी में पांच और 6 बार मैच में दस विकेट लेने का रिकॉर्ड।
सौराष्ट्र से थे गहरा नाता, क्रिकेट से था गहरा प्रेम
सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के अध्यक्ष जयदेव शाह, जो दोशी को चाचा की तरह मानते थे, ने कहा, “वह मेरे लिए केवल एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि जीवनभर के प्रेरणास्त्रोत रहे। उनका योगदान क्रिकेट के मैदान से कहीं आगे तक फैला है।”
बंगाल और सौराष्ट्र की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले दोशी ने क्रिकेट को सिर्फ खेल नहीं, साधना की तरह जिया। दिलीप दोशी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी विरासत, उनका कौशल और क्रिकेट के प्रति उनका जुनून आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
भारत-इंग्लैंड (IND vs ENG) टेस्ट सीरीज के बीच दिलीप दोशी के निधन ने खेल के रोमांच को एक गहरे भावनात्मक मोड़ पर ला खड़ा किया। एक ऐसे खिलाड़ी का जाना याद दिलाता है कि क्रिकेट केवल रन और विकेट का खेल नहीं, बल्कि जज़्बातों और विरासतों की भी कहानी है।