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मिशाल: सरकारी स्कूल से की पढ़ाई, फिर बने डॉक्टर, नहीं भरा मन तो ऐसे IAS बने अरुण

मिशाल: सरकारी स्कूल से की पढ़ाई, फिर बने डॉक्टर, नहीं भरा मन तो ऐसे Ias बने अरुण

केरल के कोल्लम जिले में कडक्कल कस्बे के अरुण एस नायर देश के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आए हैं। ऐसे तमाम प्रतिस्पर्धी लोगों को उनसे सीखना चाहिए कि, किस तरह गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने के बावजूद उन्होंने डॉक्टरी की। जिसके बाद यूपीएससी की परीक्षा भी पास की। उन्होंने साल 2019 में यूपीएससी की परीक्षा में 55 वी रैंक हासिल की। इतना सब कुछ करके वह लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। आइए जानते हैं कि, उन्होंने कैसे यह सब कर दिखाया

डॉक्टर की पढ़ाई के चलते करने लगे थे यूपीएससी की तैयारी

डॉक्टर अरुण नायर मूल रूप से केरल के ही रहने वाले हैं, कोल्लम के सरकारी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने डॉक्टरी की परीक्षा में स्टेट फोर्स रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने एमबीबीएस डिग्री साल 2017 में पूरी की। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का मन बना लिया।

एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि, ” मैं बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहता था, लेकिन डॉक्टर के बाद मेरा सपना बदल गया”। अरुण की मां हाउसवाइफ है और पिता सेना से रिटायर है, उनकी बहन अभी पढ़ाई कर रही है।

कुछ चुनौतीपूर्ण करना चाहते थे अरुण

डॉ अरुण ने तीसरे अटेम्प्ट में परीक्षा को पास किया। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पहली बार तब दी थी जब वह अपने मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। तभी अचानक उनके मन में यूपीएससी ज्वाइन करने का ख्याल आया। उन्होंने खुद इसकी वजह बताई है। तिरुअनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल से एमबीबीएस पूरा करने वाले डॉक्टर अरुण ने बताया कि , ”मैंने सिविल सेवा में करियर के बारे में हाउस सर्जेंसी के दौरान ही सोचना शुरु कर दिया था। उस समय मुझे डॉक्टर का पेशा थोड़ा नीरस लगने लगा था और मैं कुछ अधिक चुनौतीपूर्ण भी करना चाहता था”।

‘दृढ़ संकल्प और जुनून हो तो कोई कुछ भी कर सकता है’

अरुण गांव में पले बढ़े और सरकारी स्कूल में पढ़े हैं। उन्होंने बताया कि , ”आमतौर पर मलयालम माध्यम के छात्र कम आत्मविश्वास रखते हैं। खासकर जब उनके सामने अंग्रेजी बोलने की बात आती है। पहले मुझे भी हिचकिचाहट हुई थी लेकिन जल्द ही इस पर काबू पा लिया”। अरुण का कहना है, यदि इंसान के पास जुनून और दृढ़ संकल्प है तो कोई भी उसके रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकता है। कई लोग एक या दो बार प्रयास करने से टूट जाते हैं। ऐसे में जब और उनके सामने डॉक्टरी का करियर था, तब भी उन्होंने जुनून के चलते तीसरे प्रयास में इसे कर दिखाया।

 

सेल्फ स्टडी के जरिए तैयार किया विषय

अरुण ने चिकित्सा विज्ञान को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुना था। उस समय उन्होंने इरादा कर लिया था कि, वह मेडिकल साइंस को ही अपना ऑप्शनल लेंगे। लेकिन उन्हें कोचिंग नहीं मिल सकी। जिसके चलते इस विषय को उन्होंने सेल्फ स्टडी के जरिए तैयार कर लिया। आज वह पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। सभी युवाओं को उनसे शिक्षा देनी चाहिए कि, दृढ़ संकल्प लेकर कोई भी कुछ भी कर सकता है। सरकारी स्कूल में पढ़ने के बावजूद आज वह इस मुकाम पर आ गए हैं कि लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते।

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं हिंद नाउ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर पर...

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