King of Swing: क्रिकेट की दुनिया में शुक्रवार की शाम एक ऐसी खबर लेकर आई, जिसने हर उस फैन की आंखें नम कर दीं जो गेंद की स्विंग पर मोहित हुआ करता था। क्रिकेट जगत के एक दिग्गज चेहरे की अचानक मौत की खबर सामने आई, जिसने पुराने दौर के चाहने वालों को गहरे सदमे में डाल दिया। सोशल मीडिया से लेकर स्टेडियम की दीवारों तक, हर जगह एक ही नाम गूंज रहा है — ‘स्विंग का सरताज’ (King of Swing) ।
बल्लेबाजों के जेहन में King of Swing का था खौफ
हम जिस स्विंग के सरताज (King of Swing) की बात कर रहे हैं, वो हैं मुंबई के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ अब्दुल इस्माइल, जो 1970 के दशक में अपनी शानदार स्विंग गेंदबाज़ी के लिए पहचाने जाते थे, का शुक्रवार को हृदयगति रुकने (कार्डियक अरेस्ट) से निधन हो गया।
79 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने मुंबई (तब बॉम्बे) के लिए 75 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 244 विकेट चटकाए, वो भी 18.08 के बेहतरीन औसत से। उनके प्रदर्शन ने मुंबई को पांच रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाने में मदद की। बल्लेबाजों के मन में उनका खौफ रहता था।
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अनकैप्ड रहते हुए भी बना ली खास पहचान
करसन घावरी और एकनाथ सोलकर के साथ मिलकर अब्दुल इस्माइल ने तेज़ गेंदबाज़ी की एक मजबूत तिकड़ी बनाई, जो पद्माकर शिवलकर की अगुवाई वाले स्पिन अटैक के लिए परफेक्ट सपोर्ट बनी। हालांकि, बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद उन्हें कभी टीम इंडिया में मौका नहीं मिला।
हालांकि लेकिन इसके बावजूद उन्हें भारत के सबसे बेहतरीन अनकैप्ड क्रिकेटरों में गिना जाता है। उनकी स्विंग और निरंतरता ने उन्हें दर्शकों और टीममेट्स के बीच स्विंग के सरताज (King of Swing) के रूप में पहचान दिलाई।
खेल से जीवनभर रहा गहरा नाता
इस साल की शुरुआत में वानखेड़े स्टेडियम की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर मुंबई क्रिकेट संघ (MCA) ने अब्दुल इस्माइल को सम्मानित किया था। वो इस मैदान पर खेले गए पहले मैच (1975) का हिस्सा भी रहे थे।
अपने करियर की शुरुआत और अंत दोनों उन्होंने ईरानी कप से की। संन्यास के बाद भी उन्होंने क्रिकेट से नाता नहीं तोड़ा -कोचिंग और चयनकर्ता के रूप में उन्होंने कई युवाओं का मार्गदर्शन किया। उनके निधन के बाद क्रिकेट जगत ने एक समर्पित खिलाड़ी और विनम्र इंसान को खो दिया है।
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