नई दिल्ली: देश की शिक्षा नीति पर लंबे समय से बदलाव की दरकार थी जिसको लेकर सार्थक कदमों की पहल बेहद कम या कहा जाए कि न के बराबर हुई। लेकिन अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में इसका कायाकल्प कर दिया गया है जिसको लेकर मोदी कैबिनेट ने कई बड़े फैसले ले लिए हैं और इसकी पूरी जानकारी केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दी है। आपकों बता दें कि एचआरडी मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है।
छात्रों को मिलेंगी सहूलियतें
मोदी द्वारा तैयार नई शिक्षा नीति में बड़े बदलाव किए गए हैं। साथ छात्रों के समय और सहूलियतों का भी ख्याल रखा गया है। इसमें छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा यानी 5वीं तक की शिक्षा अपनी स्थानीय भाषा में करनी होगी और अंग्रेजी समेत बाकी विषय एक सब्जेक्ट के रुप में पढ़ाए जाएंगे। वहीं स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 में पढ़ाने के साथ ही देश में 9वीं और 12वीं में सेमेस्टर एग्जाम लिए जाएंगे।
समय के अनुसार डिग्री डिप्लोमा
उच्च शिक्षा में सहजता
नई शिक्षा नीति में बड़ी बात ये है कि इस नीति के साथ ही यदि मास्टर्स करना हो तो डिग्री के बाद दो के एवज में अब एक साल ही लगेगा। इसे हायर एजुकेशन के तौर पर देखा जाएगा। वहीं अब एमफिल की आवश्यकता नहीं होगी एम.ए के बाद पीएचडी की जा सकेगी। बड़ी बात ये है कि उच्च शिक्षा के लिए सभी कॉलेजों और संस्थाओं के नियम एक से होंगे और इनमें केंद्र राज्य और स्वायत्त सभी संस्थाओं के नियमों में किसी तरह का भेद नहीं होगा।
छात्रों को सहूलियत
इस नई शिक्षा नीति के तहत यदि कोई छात्र एक कोर्स से हटकर दूसरा कोर्स कर सकता है और वो पूर्ण होने के बाद वो पहले वाला कोर्स वहीं से फिर से शुरू कर सकता है जो कि एक बेहद सहूलियत भरा कदम होगा। इसके अलावा ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी को शामिल किया गया हैं। वहीं क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू करने की योजना है और वर्चुअल लैब्स भी डेवेलप की जाएंगी।