आखिर शतक लगाने के बाद MS Dhoni जश्न मनाने के लिए क्यों नहीं उतारते अपना हेलमेट?, खुद किया बड़ा खुलासा ∼
क्रिकेट जगत में किसी भी खिलाड़ी के लिए शतक लगाना बहुत बड़ी बात होती है। शतकीय पारी खेलने के बाद हर बल्लेबाज अपने हेलमेट को उतारने के साथ ही हाथ हवा में उठाकर दर्शकों का अभिवादन करके जश्न मनाता है। इस मौके को ऐसे ही सेलिब्रेट किया जाता रहा है।
जिसे सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली (Virat Kohli) तक शतक लागने के बाद करते आए हैं। हालांकि कुछ खिलाड़ियों को अर्धशतक लगाने के बाद भी ऐसा ही करते देखा गया है। लेकिन टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान रहे एम एस धोनी (MS Dhoni) की कहानी थोड़ी अलग है।
MS Dhoni शतक पर बाकी खिलाड़ियों की तरह आखिर क्यों नहीं मनाते हैं जश्न
दरअसल, अपने करियर के आखिरी दिनों में शतक लगाने के बाद भी धोनी (MS Dhoni) अपना हेलमेट नहीं उतारते थे। मैच के दौरान शतकीय पारी खेलने के बाद वह अपना बल्ला धीमे से ऊपर उठा देते थे और खेलना शुरू कर देते थे। वहीं जब वह अर्धशतक लगाते थे तो, ऐसे में वह बिना रूके बस खेलते ही रहते थे। लिहाजा, फैंस के दिल में अब यह सवाल उठा रहा होगा कि धोनी ऐसा क्यों करते थे? चलिए तो इस आर्टिकल के जरिये हम धोनी के ऐसा करने की वजह के बारे में बताते हैं।
बता दें कि शतक लगाने के बाद खिलाड़ी का हेलमेट उतारने का कोई नियम नहीं है। लेकिन कई बार जब टीम हार रही होती है तो बल्लेबाज ऐसे में शतक लगाने के बाद हेलमेट उतारने या कोई सेलेब्रेशन करने से बचते है। हालांकि, धोनी के मामले में कोई भी स्थिति एक जैसी ही होती है। भले ही उन्होंने शतक लगाया हो या फिफ्टी जड़ी हो। गौरतलब है कि धोनी के हेलमेट ना उतारने के पीछे सबसे बड़ा कारण देशप्रेम है। धोनी टीम इंडिया के इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी निजी जिंदगी को पीछे छोड़ते हुए अपनी टीम और भारत के लिए क्रिकेट खेला है। लिहाजा, वह मैच में शतक लगाने के बाद खुद के लिए जश्न मनाने से कतराते हैं।
धोनी के मन में भारत के लिए कूट-कूट के भरा है देशप्रेम
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, विकेटकीपर फील्डिंग के दौरान अपने हेलमेट को पहनते और उतारते रहते हैं।हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि वो स्टंप्स पर खड़े हैं या नहीं। अगर वह इसे नहीं पहनते है तो वह जमीन पर रख देते है। लेकिन धोनी (MS Dhoni) का मानना है कि हेलमेट में भारतीय ध्वज बना होता है ऐसे में उसे जमीन पर रखना देश का अपमान करने के बराबर है। लिहाजा वह अपनी उपलब्धि पर बीच मैच में हेलमेट उतारने से परहेज करते है और ऐसे ही अपनी जीत को मनाते है।
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