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Ms Dhoni ने खत्म किया इन3 खिलाड़ियों का करियर, जाने क्या है पूरा सच?

धोनी

एक ऐसा कप्तान, एक ऐसा बेहतरीन मैच फिनिशर,और शानदार खिलाड़ी जिसने पूरी दुनिया में अपनी बल्लेबाजी से लोगों का दिल जीत लिया। जी हां,हम बात कर रहें है भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर Ms Dhoni (महेंद्र सिंह धोनी) की, जिन्होंने कई हारते हुए मैचों में भारत को जीत दिलाई तो वहीं कुछ गलत फैसलों के चलते इन विकेटकीपर का करियर भी स्पॉइल किया।

Ms Dhoni की वजह से इन्हें टीम में नहीं मिली जगह

क्रिकेट इतिहास में शायद ही किसी ने Ms Dhoni जैसा फुर्ती वाला विकेटकीपर देखा होगा। एक विकेटकीपर के तौर पर मामला चाहे स्टंप का हो या कैच का, रन आउट का हो या फिर रिव्यू का उनका कोई जवाब ना था और ना आगे रहेगा।Ms Dhoni अपनी धाकड़ बल्लेबाजी और करिश्माई कप्तानी के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं।Ms Dhoni ने अपने शांत दिमाग और शातिर दिमाग से टीम इंडिया को कई हारे हुए मैच जिताए।

Ms Dhoni  ने विकेटकीपर की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया और वह दुनिया के सबसे बड़े फिनिशर बनकर उभरे, लेकिन जब तक Dhoni भारतीय टीम की तरफ से खेले तब तक किसी और विकेटकीपर के लिए टीम इंडिया में जगह बनाना बहुत ही टेढ़ी खीर रही। आज हम बात करेंगे ऐसे ही विकेटकीपर्स के बारे में, जो धोनी के कारण टीम में जगह नहीं बना पाए और 2 ने तो मजबूरी में संन्यास ले लिया।

1. पार्थिव पटेल 

क्रिकेटर पार्थिव पटेल (Parthiv Patel)ने भले ही खेल के तमाम प्रारूपों को अलविदा कह दिया हो लेकिन उनकी विकेटकिपिंग को आज भी याद किया जाता है। Ms Dhoni  के बाद पार्थिव पटेल दूसरे नंबर के बेस्ट विकेटकीपर में से एक थे। पार्थिव पटेल ने अपना टेस्ट डेब्यू साल 2002 में इंग्लैंड (England) के खिलाफ किया था। उस समय वह केवल 17 साल के ही थे। इतनी छोटी सी उम्र में तर्रकी हासिल करने वालों में पार्थिव पटेल का नाम भी दर्ज है। वह भारत की तरफ से टेस्ट डेब्यू करने वाले सबसे युवा विकेटकीपर (Wicketkeeper) बल्लेबाज बने।

आपको बता दें पटेल टीम में Ms Dhoni से पहले आए थे, लेकिन वह अपनी खराब फॉर्म की वजह से कभी भी टीम में स्थाई जगह नहीं बना सके।पार्थिव पटेलने भारत के लिए 25 टेस्ट और 38 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले. टेस्ट में पार्थिव के नाम 934, जबकि वनडे में उनके नाम 736 रन दर्ज है।

2. नमन ओझा 

एक ऐसा खिलाड़ी जिसने रणजी ट्रॉफी में शानदार विकेटकिपिंग की थी, क्या आप सोच सकते है वह टीम इंडिया से बाहर बैठ सकता है।जी हां ,हम बात कर रहें है नमन ओझा की।जिन्हें हमेशा से ही सेलेर्टर्स ने नजरअंदाज किया। Ms Dhoni को कई बार इस खिलाड़ी को नजरअंदाज करने पर तरजीह दी गई थी।

बता दें नमन ओझा ने साल 2010 में अपने इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरूआत की थी। उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे और टी-20 फॉर्मेट में डेब्यू किया था। साल 2015 में उन्होंने अपना आखिरी इंटरनेशनल क्रिकेट (International Cricket) मैच श्रीलंका (Sri Lanka) के खिलाफ खेला था। ओझा के नाम रणजी ट्रॉफी में विकेटकीपर के रूप में 351 शिकार करने का रिकॉर्ड है।

3. दिनेश कार्तिक 

ऐसा कहा जाता है कि जितने मौके MS Dhoni को शुरूआती दौर में दिए गए शायद अगर किसी और को दिए जाते तो आज उनका करियर खत्म नहीं होता।आपको बता दें दिनेश कार्तिक (Dinesh Karthik) को सेलेक्टर्स ने कभी मौके नहीं दिए।कार्तिक हमेशा ही धोनी (Dhoni) की परछाई में छिप गए।

Ms Dhoni के विराट खेल के आगे इस खिलाड़ी का प्रदर्शन हमेशा से ही नजरअंदाज किया गया।धोनी के चलते कार्तिक कभी भी टीम इंडिया में अपनी स्थाई जगह नहीं बना पाए और वह हमेशा ही टीम से अंदर-बाहर होते रहे ।कार्तिक ने साल 2004 में टीम इंडिया (Team India)  के लिए ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया था। उन्होंने भारत के लिए 26 टेस्ट, 94 वनडे मैच और 32 टी20 खेले हैं।

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