मुनव्वर फारूकी के वकीलों ने शनिवार को स्थानीय अदालत में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश किया, जिसमें मुनव्वर को पचास हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानत पेश करने की बात कही गई थी। लेकिन इंदौर जेल प्रशासन ने फ़ारूकी को ये कहते हुए रिहा करने से इनकार कर दिया था कि उन्हें प्रयागराज के सीजेएम न्यायिक मैजिस्ट्रेट की ओर से उनके पहले जारी किए गए प्रोडक्शन वॉरंट को रोकने को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। इसके बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को इंदौर के मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट को फोन करना पड़ा, तब जाकर फारूकी रिहा किया गया।
मुनव्वर फारूकी को क्यों रिहा नहीं कर रहा था जेल प्रशासन
स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रिहाई में लगभग डेढ़ दिन का वक्त लग गया। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुबह करीब सवा ग्यारह बजे स्टैंडअप कॉमेडियन को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे। मुनव्वर फारूकी के वकीरल अंशुमान श्रीवास्तव का कहना है कि कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद उनके क्लांइट को रिहा किया गया। जेल सुप्रीटेंडेंट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कुछ स्पष्टीकरण के लिए फारूकी की रिहाई रोक ली थी।
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताविक, इंदौर सेंट्रल जेल के अधीक्षक, राजेश बांगडे ने कहा,
“हमें पहले ये आदेश मिला था, हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने इंदौर के मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट को फोन किया और उन्हें वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेशों को चेक करने के लिए कहा और कहा कि रिहा करने के आदेश पहले ही अपलोड हो गए हैं, तो इनका अनुपालन करें। हमने वेबसाइट चेक की और देखा कि ये अपलोड थे, इसलिए रात 11 बजे छोड़ा गया”।
क्या था मुनव्वर फारूकी पर आरोप
बता दें कि, एक जनवरी को इंदौर के चटपटे रसीले चटोरे इलाके के 56 दुकान सर्राफा बाजार के एक कैफे में कॉमेडी कार्यक्रम में मुनव्वर पर हिंन्दू देवी-देवताओं पर आत्तिजतनक टिप्पणियां करने के आरोप में मामला दर्ज हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भापजा की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ की शिकायत पर एक जनवरी को गिरफ्तारी के बाद से फारूकी इंदौर की केंद्रीय जेल में बंद थे।
गौरतलब है कि जिला अदालत और इसके बाद मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने फारूकी की जमानत अर्जियां दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खरिज कर दी थीं। इसके बाद हास्य कलाकार ने जमानत पर रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण ली थी