खाद्य तेलों के साथ ही महंगाई की काली छाया फिर मंडराने लगी है। खाद्य तेल पांच रुपये प्रति लीटर महंगे हो गए हैं। इसी तरह से चावल का भाव तीन रुपये बढ़ गया है। चीनी में भी दो रुपये की तेजी आई है। सरसों तेल पांच रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। अब इसका न्यूनतम भाव 155 से बढ़कर 160 रुपये लीटर और अधिकतम भाव 195 से बढ़कर 200 रुपये लीटर हो गया है। रिफाइंड का भाव भी पांच रुपये लीटर बढ़कर 160 से 165 रुपये प्रति लीटर हो गया है।
सरसों के भाव में तेजी की वजह क्या है?
कारोबारियों के मुताबिक, तेल का भाव तीन वजह से भाग रहा है. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने सरसों तेल में कोई भी दूसरा तेल मिलाने (Blending) पर रोक लगा दी है. सरसों पहले से ही मंडियों से महंगी मिल रही है. ऐसे में शुद्ध सरसों का तेल कम कीमत पर कैसे बेचा जा सकता है. वहीं, अब खाद्य तेलों का भाव इंटरनेशनल मार्केट में तय हो रहा है. इस वजह से भी दाम में तेजी आई है. बता दें, सरसों के तेल में तय मात्रा में दूसरे खाद्य तेलों के मिश्रण को ब्लेंडिंग (What is Blending) कहते हैं. वहीं, पिछले कुछ सालों में सरसों की खपत बढ़ी है.
कैसे तय होता है सरसों का दाम?
– 1 क्विंटल सरसों में 36 लीटर तेल (औसतन) निकलता है.
– सरसों का दाम 7500 रुपए क्लिंटल है.
– शुद्ध तेल का दाम 208 रुपए प्रति लीटर.
– पेराई करने वाला मुनाफा जोड़कर बेचता है.
– 1 क्विंटल सरसों में करीब 60 किलो खली निकलेगी.
– करीब 1320 रुपए की खली होगी.
– इससे कोल्हू, ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग का खर्च निकल जाएगा