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जमीन, आसमान और समंदर के जांबाज ऐसे होते हैं तैयार, जानें खास बातें

जमीन, आसमान और समंदर के जांबाज ऐसे होते हैं तैयार, जानें खास बातें

भारत में सैनिकों के प्रति सम्मान का भाव हमेशा ही रहा है भारत में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जहां सैन्य अकादमी है जिसे एनडीए कहते हैं। इस अकादमी की अपनी विशेषता है जिसके चलते यहां 27 देशों के कैडेट्स तेयार किए जाते हैं और फ़िर उनकी तैनाती की जाती है।

हो जाता है कायाकल्प

एनडीए में जब छात्र आते हैं तो वो एक साधारण स्टूडेंट्स की तरह होते हैं। लेकिन एनडीए की इस ट्रेनिंग के बाद ये हर तरह से मजबूत और दृढ़ निश्चयी वाले बेहतरीन अफसर बनकर निकलते हैं। इनकी ट्रेनिंग सबसे कठिन ट्रेनिंग में शामिल होती है। जिसके चलते देश की सेवा करने वाले युवा इस एनडीए की अकादमी में जगह बनाना चाहतें हैं।

हर साल आते हैं लाखों आवेदन

आपको बता दें कि एनडीए की अकादमी में पुणे में हैं। इसके लिए हर साल मुख्य परीक्षाएं कराई जाती है करीब 10 लाख से ज्यादा लोग इसके लिए आवेदन करते हैं। जबकि मुश्किल से 10 हजार लोगों को चुना जाता है फिर उनमें से 500-300 लोगों को एनडीए के लिए चुना जाता है। ये चुनाव इंटरव्यू के आधार पर किया जाता है।

लंबी है प्रकिया

एक कैडेट्स को स्नातक होने से पहले छह सेमेस्टर का कोर्स होता है फिर उन्हें प्रशिक्षण केंद्र भेज दिया जाता है। कैडेट भारतीय सैन्य एकेडमी (IMA) देहरादून, भारतीय नौसेना एकेडमी (एझिमाला) और वायुसेना के कैडेट्स वायु सेना एकेडमी में भेजे जाते हैं और फिर वहां पर उनकी ट्रेनिंग शुरू होती है। गौरतलब है कि पूर्ण स्नातक के बाद सभी को जेएनयू की डिग्री मिलती है।

ये होती है सख्तियां

एनडीए के कैडेट्स को बाल काटना बेहद जरूरी होता है सभी को एक साइकिल, एक अकेडमी नंबर और एक स्क्वॉड्रन दिया जाता है। प्रत्येक को एक कमरा भी दिया जाता है, लेकिन उसे व्यवस्थित करना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि उनकी कभी भी चेकिंग हो सकतीं है।

केडेट्स को इनडोर व आउटडोर सभी तरह का प्रशिक्षण दिया जात है। साथ ही उन्हें शुरुआत में ओरिएंटेशन प्रोग्राम होता है जो कि उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। वहीं उन्हें हथियार संभालने से लें मैप रीडिंग की भी ट्रेनिंग दी जाती है।

तय होता है शेड्यूल

इन कैडेट्स के पाठ्यक्रम का शेड्यूल पहले से तय होता है और अंत तक वही रहता है। ये शुरू से अंत तक कभी बदलता नहीं है। साथ ही सर्दी गर्मी बरसात हर मौसम में शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं होता है, ‌ कैडेट्स को समय पर निश्चित स्थान पर पहुंचना होता है ऐसा न करने पर कैडेट्स को पीठ पर वजन लादकर दौड़ाया जाता है।

बदल जाती है जिंदगी

ये भले ही जीवन का एक छोटा कार्यकाल होता है, लेकिन इसके चलते ये कैडेट्स अपने जीवन में पूरी तरह से बदल जाते हैं और फिर उन्हें सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक का काम शेड्यूल के तहत ही करना होता है। ये आने वाली जिंदगी में उनके सबसे ज्यादा काम आता है और इसके जरिए वो एक अच्छे सैन्य अधिकारी बनते हैं।

 

 

 

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