Posted inक्रिकेट

नागपुर के इस शख्स ने वैन को बनाया सोलर वैन, न पेट्रोल का खर्च और न प्रदुषण का खतरा

नागपुर के इस शख्स ने वैन को बनाया सोलर वैन, न पेट्रोल का खर्च और न प्रदुषण का खतरा

आज के समय में प्रदूषण बहुत ही बड़ी समस्या बन चुकी है, जिसका सबसे बड़ा कारण है वाहनों से निकलने वाला धुआं. अमेरिका में जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय और कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक साल 2015 में भारत में वायु प्रदूषण की वजह से दो तिहाई यानी कि 3.85 लाख लोगों की मौत सिर्फ वाहनों के निकलने वाले धुएं की वजह से हुई थी. फिलहाल, आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जिन्होंने अपने वैन को सोलर वैन में बदल प्रदूषण कम किया.

हम बात कर रहे हैं नागपुर के 66 वर्षीय दिलीप चित्रे की, जिन्होंने साल 2018 में खुद ही अपने वेन को सोलर वेन में बदल दिया, इतना ही नहीं इस गाड़ी से वाप तक 43 किलोमीटर की यात्रा भी कर चुके हैं. कार में लिथियम बैटरी का इस्तेमाल किया गया है. दिलीप चित्रे को अपने इस इनोवेशन को सही तरीके से करने में पूरे 25 साल का समय लगा. वह पिछले दो दशक से भी ज्यादा सोलर एनर्जी पर काम कर रहे हैं. उनका सबसे बड़ा विचार सोलर से चलने वाले वाहन बनाना था, लेकिन शुरुआत में उन्हें सफलता नहीं मिली तो, उन्होंने दूसरी चीजों में सोलर एक्सपेरिमेंट भी किये थे.

सरकार कर रही है अनदेखी- दिलीप

उन्होंने बताया कि, उन्हें हमेशा से ही खिलौनों को खोल कर उनके तकनीकी समझने में बहुत दिलचस्पी रही है. जिस वजह से वह वाहनों में नया प्रयोग करने में परेशानी नहीं समझते. दिलीप ने शुरुआत में इस तरह की तकनीकी बनाई जिस में बाइक से कोई पेट्रोल की चोरी भी नहीं कर सकता, लेकिन इसके बाद वह सौर ऊर्जा पर ध्यान देने लगे.

1995 में उन्हें सोलर एनर्जी के फायदों के बारे में पता चला, तब उन्होंने इस क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट शुरू किया. दिलीप कुमार ने बताया कि, ” भारत के लिए सोलर एनर्जी कोई बड़ी चीज नहीं. हमारे पास ट्रेन है जो स्टीम और इलेक्ट्रिक इंजन से चलती है. अगर सोलर एनर्जी जैसे नवीनीकरण ऊर्जा के तरीके पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं तो यह सिर्फ प्रशासन की अनदेखी है”.

किसी ने नहीं की सहायता

दिलीप ने अपना पहला एक्सपेरिमेंट साल 2003 में किया था, जब उन्होंने ऑटो रिक्शा के इंजन को इलेक्ट्रिक बैटरी में बदल दिया. उन्होंने इसे नागपुर के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में टेस्ट के लिए भी भेजना चाहा, उनका ऑटो रिक्शा टेस्ट में पास तो हो गया लेकिन ज्यादा साधक ना होने की वजह से वाह प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पाए. उन्होंने ऑटो रिक्शा की प्रेजेंटेशन बनाकर देहरादून के पेट्रोलियम कज़र्वेशन रिचार्ज एसोसिएशन को भी भेजा था लेकिन उनको कोई जवाब नहीं मिला. दिलीप ने कहा, ” सच कहूं तो मैं बहुत निराश हो गया था मैंने वाहनों पर काम करना ही बंद कर दिया”.

वैन को बदला सोलर वैन में

उसके बाद उन्होंने एक दोस्त के कार शोरूम में सोलर से चलने वाली 140 लाइट लगाईं. उन्हें लगा साल 2017 में एक बार फिर लगाकर वाहनों पर काम करना ही चाहिए. उन्होंने एक्सपेरिमेंट के लिए महिंद्रा की e2o इलेक्ट्रिक कार खरीदी जिससे उसे सोलर में बदल सके. वह सफल तो नहीं हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे प्रयास किया.

अगली बार उन्होंने सेकंड हैंड वेन पर एक्सपेरिमेंट किया, जिसमें ₹500000 खर्च किए और इसे सोलर वेन बना दिया. दिलीप ने इंजन को 48 वोल्ट बैटरी, डीसी मोटर, गियर बॉक्स, चार्ज कंट्रोलर और इलेक्ट्रॉनिक एक्सेलरेटर से बदल. इसके बाद उन्होंने एक स्पीड रेगुलेटर और कार की छत पर 400 वाट के सोलर पैनल इंस्टॉल किए.

इस बैटरी को हर 8 महीने में दो बार चार्ज करना पड़ता है. बैटरी सोलर पैनल से आने वाली एनर्जी को स्टोर करने का काम करती है और मोटर गियर बॉक्स की मदद से मैकेनिकल एनर्जी में बदलता है.

25 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं हर रोज

दिलीप ने बताया कि, ” मैं हर दिन अपने घर से स्कूल जाने के लिए 25 किलोमीटर की दूरी वैन से ही तय करता हूं. इसका कोई रखरखाव नहीं है, इसे चलाने के लिए सुचारू रूप से धूप की आवश्यकता होती है, लोग कारों को छाया में पार करते हैं मैं खुले में”. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यह बहुत उत्तम है, लेकिन उन्हें कहीं भी कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने कोशिश की कि, प्रशासन इस पर ध्यान दें लेकिन उनकी कोशिश नाकाम रहे जिससे वह निराश हो गए.

उनका कहना है कि, उनके पास इतने साधन नहीं है कि, वह प्रोजेक्ट पर खर्चा कर सकें, लेकिन अगर सरकार और प्रशासन मदद करें तो बहुत कुछ हो सकता है”.

आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ” इस बात की खुशी है कि नागपुर में एक शख्स ऑटो रिक्शा वाले डिजाइन से लोगों को ई रिक्शा बना कर दे रहा है. ₹20000 की लागत में ई-रिक्शा बनता है तो चार-पांच बना चुका है”.

इस धुआं रहित वाहन से लोगों को बहुत उम्मीद है , क्योंकि प्रदूषण की रोकथाम हो रही है. बड़ी संख्या में लोग वाहन चलाते हैं , लेकिन इससे पर्यावरण का सबसे अधिक नुकसान भी होता है. सभी को उम्मीद है कि पब्लिक और प्राइवेट दोनों तरह के संगठन दिलीप जैसे लोगों के आविष्कार पर ध्यान देंगे. यदि आप में से कोई भी दिलीप चित्रे से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें 9371161415 पर कॉल कर सकते हैं.

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं हिंद नाउ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर पर...

Exit mobile version