Prithvi Shaw : एक करोड़ के ऑफर ने आखिरकार बदल दी पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) की खेल भावना की दिशा। देश के लिए खेलने का सपना संजोने वाले इस युवा बल्लेबाज़ ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। टीम इंडिया में वापसी की उम्मीदें जब धुंधली पड़ने लगीं, तब विदेशी सरजमीं ने उन्हें नई पहचान देने का वादा किया। क्या पैसों की चकाचौंध ने उनके देशप्रेम को मात दी? जानिए किस देश की जर्सी पहनकर अब जलवा बिखेरेंगे पृथ्वी शॉ।
क्या 1 करोड़ के ऑफर में बिक गया देशप्रेम?
एक करोड़ के ऑफर के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा जोरों पर है—क्या पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) का देशप्रेम बिक गया? दरअसल, भारतीय टीम में लगातार अनदेखी और चोट के कारण मौके न मिलने से परेशान पृथ्वी अपने करियर को नई दिशा देने में जुटे हैं।
वह लंबे समय से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं और घरेलू क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद चयनकर्ताओं की नजरों से दूर हैं। ऐसे में उनका विदेश की ओर रूख करना उन्हें खुद को साबित करने का एक नया मंच दे सकता है।
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Prithvi Shaw ने छोड़ा भारत, अब इस देश के लिए खेलेंगे
दरअसल पृथ्वी शॉ अब इंग्लैंड की सरज़मीं पर नॉर्थम्पटनशायर के लिए रॉयल लंदन वन-डे कप 2025 खेल सकते हैं। उन्हें पिछले दो सीजन नॉर्थम्पटनशायर के लिए खेला है और अब इस संस्करण भी वो टीम का हिस्सा बन सकते है।
पृथ्वी शॉ ने 4 अगस्त 2023 को नॉर्थम्पटनशायर के लिए अपना डेब्यू किया था। हालांकि वह केवल चार ही मैच खेल पाए, लेकिन इन मुकाबलों में उनका बल्ला जमकर बोला। उन्होंने कुल 429 रन बनाए, जिसमें समरसेट के खिलाफ 244 रनों की ऐतिहासिक पारी शामिल है।
यह पारी 153 गेंदों में आई और उन्हें वनडे कप इतिहास में सबसे बड़े स्कोर बनाने वालों की सूची में ला खड़ा किया। उनकी इस धुआंधार बल्लेबाज़ी ने क्रिकेट जगत को चौंका दिया था। इस पारी के बाद नॉर्थम्पटनशायर में उनकी लोकप्रियता और टीम में उनका कद दोनों ही काफी बढ़ गए।
कोच डैरेन लेहमैन हैं पृथ्वी से प्रभावित
नॉर्थम्पटनशायर के कोच और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज डैरेन लेहमैन, पृथ्वी शॉ के खेल से बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि टीम इस साल भी पृथ्वी को अपने साथ बनाए रखने की इच्छुक है। ऐसे में यह तय है कि वह 2025 रॉयल लंदन वन-डे कप में टीम का हिस्सा होगें।
पृथ्वी अकेले भारतीय नहीं हैं जो विदेशों में अपनी पहचान बना रहे हैं। काउंटी क्रिकेट में कई भारतीय खिलाड़ी अलग-अलग टीमों का हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में पृथ्वी शॉ का यह कदम शायद करियर को बचाने की कोशिश है, ना कि देशप्रेम से मुंह मोड़ने का फैसला।
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