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80 के दशक में भारत को बदलने के लिए Rajiv Gandhi के पास थे नए इरादे, लेकिन ऐसा करने से पहले दुनिया को कह गए अलविदा

Rajiv Gandhi

21 मई साल 1991 की वो घटना, जिसने भारत को हिलाकर रख दिया था। जहां भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक आतंकी हमले में हत्या हुई थी। तब से लेकर हर साल ये दिन आतंकी विरोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। राजीव गांधी( Rajiv Gandhi) की 31वो पुण्यतिथि आज मनाई जा रही है। वहीं बता दें उन्होंने अपने कार्याकाल के समय देश को बदलने का सपना 80 के दशक में ही देख लिया था।

बता दें Rajiv Gandhi आकर्षक व्यकित्तव के धनी थे। उनकी शख्सियत के लगभग सभी पहलू लोगों का ध्यान खींचते थे। उनके बोलने का अंदाज भी निराला था। वह एक जिम्मेदार और समर्पित प्रधानमंत्री थे। वह भारत को दुनिया में एक प्रभावशाली भूमिका में देखना चाहते थे। आज इस आर्चिकल के जरिए आपको बताएंगे राजीव गांधी के उन इरादों के बारे में जिससे वह भारत को बदलते हुए देखना चाहते थे।

साल 1982 में Rajiv Gandhi ने निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

बता दें एक प्रशासक के रूप में राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की प्रतिभा साल 1982 में दिख गई थी। जब वह 1982 के एशियाई खेलों के आयोजम में अहम भूमिका निभाते नजर आए। ऐसा कहा जाता है कि अगर राजीव के छोटे भआई संजय गांधी की मौत एक प्लेन क्रैश में नहीं हुई होती तो शायद ही राजीव गांधी जैसा नेता भारत को मिल पाता क्योंकि संजय ही नेहरू-गांधू परिवार की विरासत संभालने के लिए इंदिरा गांधी की पहली पसंद थी।

एंटी डिफेक्शन कानून लेकर आए थे राजीव

बता दें अपने कार्यकाल के पहले साल ही राजीव गांधी ने साल 1985 में सरकार एंटी डिफेक्शन कानून लेकर आई, क्योंकि राजीव चाहते थे कि देश की राजनीति सव्च्छ हो और चुने हुए विधायकों को तोड़कर, उन्हें प्रलोभन देकर सरकारें न बनाई जाएय़ यह सच है कि इतिहास की कसौटी पर यह कानून कमजोर सॉबित हुऐ है, लेकिन जब यह बना था तब इससकी बहुत तारीफ हुई थी।

दूरसंचार क्रांति लाए थे राजीव गांधी

यह राजीव गांधी ही थे जो देश में दूरसंचार क्रांति लाए थे। जिसे डिजिटल इंडिया की चर्चा आज के समय हो रही है, उसकी संकल्पना राजीव गांधी अपने जमाने में कर चुके थे। उन्हें डिजिटल इंडिया का आर्किटेक्ट और सूचना तकनीक और दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है। राजीव गांधी की पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थानपना के लिए सेंटर पार डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स की स्थापना हुई। इस पहल से शहर से लेकर दगांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरु हुआ। वहीं हर जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे। जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी। फिर 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई।

वोट देने की उम्र सीमा घटाई

बता दें पहले देश में वोट देने की उम्र सीमा 21 वर्ष थी। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी(Rajiv Gandhi) की नजर में यह उम्रसीमा गलत थी। उन्होंने 18 साल की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार और सशक्त बनाने की पहल की। साल 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्रसीमा 21 से घटाकर 18 साल कर दी गई। इस प्रकार अब 18 वर्ष केक रोड़ो युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते थे

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