Ranji: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे मैच दर्ज है, जिसने गेंदबाजों को हिला कर रख दिया है। ऐसा ही एक मुकाबला रणजी ट्रॉफी में खेला गया है, जहां बल्लेबाजों ने गेंदबाजों के सामने रनों की सुनामी ला दी है। मैदान पर चौकों-छक्कों की ऐसी बरसात हुई कि स्कोरबोर्ड संभालना मुश्किल हो गया है। यह रणजी (Ranji) का वो मुकाबला है, जो करीब 1589 गेंदों तक चला और दर्शक हर ओवर में सिर्फ एक ही नजारा देख रहे थे, की गेंद हवा में, और फिर सीमा रेखा के पार।
Ranji में मुंबई का तूफान
दरअसल हम जिस मैच की बात कर रहे है, वो रणजी (Ranji) ट्रॉफी 1944 के सीजन में मुंबई (पहले बंबई) और महाराष्ट्र के बीच खेला गया था। इस मैच में मुंबई ने ऐसा तूफान मचाया कि महाराष्ट्र के गेंदबाजों के पसीने छूट गए। टीम ने 1589 गेंदों का सामना करते हुए अपनी पहली पारी में 735 रन कूट डाले थे। उस समय ये भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेट का सबसे बड़ा स्कोर बन गया था।
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विजय मर्चेंट का धमाका
इस मैच (Ranji) में टीम के हीरो रहे, खुद कप्तान विजय मर्चेंट, जिन्होंने 359 की नाबाद पारी खेली। अपनी इस विस्फोटक पारी में विजय ने 31 चौके जड़े थे। इसी के साथ यह उस समय भारत के क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी थी। मर्चेंट के अलावा बॉम्बे के बल्लेबाज रूसी मोदी ने उनका बखूबी साथ दिया और 168 रन बनाकर उनके साथ 371 रन की साझेदारी की, जो भारत में छठे विकेट के लिए रिकॉर्ड साझेदारी बनी।
कुछ ऐसा रहा मैच का हाल
रणजी (Ranji) ट्रॉफी 1944 में बॉम्बे और महाराष्ट्र के बीच वेस्ट जोन के हुए इस मुकाबले में बॉम्बे की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कप्तान विजय मर्चेंट की विस्फोटक बल्लेबाजी के दम पर 2.64 ओवर में 735 रन बनाए। जवाब में महाराष्ट्र की टीम ने 111 ओवर में 298 रन बनाए। आपको बता दें, इस मुकाबले की सिर्फ दो ही परियों का मैच हुआ था, जिसके चलते इस मुकाबले का कोई नतीजा नहीं निकला और दोनों टीमों के बीच हुआ यह मुकाबला ड्रॉ हो गया।
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