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6,6,6,4,4,4,4,4….. एक ओवर में नहीं, पूरी पारी में उड़ा दिए गेंदबाज, इस भारतीय बल्लेबाज ने अकेले ठोके 443 रन

Ranji

Ranji: इस वक्त देखा जाए तो भारतीय क्रिकेट टीम का दबदबा वर्ल्ड क्रिकेट में साफ तौर पर देखने को मिल रहा है, जिसका सबसे बड़ा कारण है कि भारत ने कई बड़े-बड़े टूर्नामेंट पर अपना कब्जा जमाया है. यही वजह है कि जब भी दुनिया की बड़ी से बड़ी टीमों का सामना भारत से होता है, तो वह एक मजबूत और बेहतरीन रणनीति के साथ भारत के खिलाफ उतरती है.

आज हम भारत के ऐसे ही एक दिग्गज बल्लेबाज की बात करने जा रहे हैं, जिसने गेंदबाजों (Ranji) का वह हाल किया जिसकी वह उम्मीद भी नहीं कर सकते थे और अकेले 443 रन की तूफानी पारी खेल डाली.

Ranji: इस भारतीय बल्लेबाज ने अकेले ठोका 443 रन

हम यहां टीम इंडिया के जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं वह कोई और नहीं भाऊसाहब निंबालकर है जिन्होंने क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा कारनामा कर दिया, जिसे भूल पाना बहुत ही मुश्किल है. इस खिलाड़ी ने रणजी ट्रॉफी के 1948 सीजन में पुणे के मैदान पर काठियावाड़ टीम के खिलाफ खेलते हुए जिस कदर गेंदबाजों पर कहर मचाया, उसके बाद तो उनके सामने गेंदबाज भी हाथ जोड़कर नतमस्तक नजर आए. अपनी टीम के लिए कुल 443 रन का महत्वपूर्ण योगदान दिया.

कई बार पूरी टीम मिलकर भी इतना स्कोर नहीं बन पाती है, जितना निंबालकर ने अकेले कर दिया. अपने इस पारी (Ranji) के दौरान उन्होंने 49 चौके और एक छक्के लगाए. अपनी टीम के लिए नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने उतरे निंबालकर को आउट करने के लिए काठियावाड़ के एक से बढ़कर एक गेंदबाजों ने लाख कोशिश की लेकिन किसी के भी हाथों सफलता नहीं मिली. यही वजह है कि वह इतना मजबूत स्कोर बनाने में सफल हुए जिन्होंने अपने इस तूफानी पारी से टीम को मजबूती देने का काम किया. इसके साथ ही उनकी टीम के अन्य खिलाड़ियों ने भी भरपूर सहयोग किया.

पूरे मैच में गेंदबाजों की उड़ाई धज्जिया

अगर किसी खिलाड़ी द्वारा किसी मैच में 443 का स्कोर बनाया गया हो तो आप इस बात से ही इसका अंदाजा लगा सकते हैं कि उसने किस कदर गेंदबाजों की धुनाई की होगी. निंबालकर ने भी गेंदबाजों पर बिना तरस खाए हुए हर दूसरे गेंद पर चौके- छक्को की बरसात कर दी. इस मुकाबले की अगर बात करें तो काठियावाड़ टीम ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया और 238 का स्कोर बोर्ड पर लगाया. इसके जवाब में महाराष्ट्र की टीम ने चार विकेट खोकर 826 रन का पहाड़ जैसा स्कोर बोर्ड पर लगाया,

जिसकी कभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. इस मुकाबले में महाराष्ट्र की तरफ से कमल भंडारकर ने 205 रन का महत्वपूर्ण योगदान दिया और बाकी की जो बची कसर थी जो निंबालकर ने अपनी 443 रन के ऐतिहासिक पारी से निकाल दी, जो अपनी टीम के जीत के सबसे बड़े हीरो रहे. इस मुकाबले में महाराष्ट्र की टीम ने काफी बड़े अंतर से इस मुकाबले को अपने नाम किया जिसके सभी खिलाड़ियों का भरपूर योगदान इस मुकाबले में रहा.

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