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ऋषि कपूर को अंतिम समय तक इस बात का था पछतावा, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे यही गलती

ऋषि कपूर को अंतिम समय तक इस बात का था पछतावा, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे यही गलती

ऋषि कपूर का जो नेचर था, वह कोई भी बात उसे किसी से छिपाने की कोशिश नहीं करते थे। उनकी बेबाकी और बिंदास ऐटिट्यूड को दिखाते बयान, हमेशा ही सुर्खियां बटोरते थे। घर पर भी वह ऐसे ही अनफिल्टर्ड तरीके से अपने थॉट्स एक्सप्रेस करते थे। ऋषि अपने कड़क और कभी-कभी होने वाले आउटबर्स्ट के लिए भी जाने जाते थे। लेकिन निधन से कुछ साल पहले उनके नेचर में चेंज आने लगा था। वे ज्यादा सॉफ्ट हार्टिड हो गए थे और उन्होंने कई बार अपने बेटे रणबीर के साथ रिश्ते को लेकर पछतावा भी जाहिर किया था।

इन शब्दों में बयां किया था अपना रिश्ता

ऋषि कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘… मुझे पता है कि मैंने अपने बेटे के साथ रिश्ते बिगाड़ लिए हैं, जबकि मेरी पत्नी हर समय मुझे इसे लेकर टोकती रहती थी। अब कुछ भी बदलने के लिए काफी देर हो चुकी है। रणबीर और मैं दोनों ही नए बदलाव के साथ खुद को नहीं ढाल सकेंगे। यह कुछ ऐसा है जैसे हम दोनों के बीच एक कांच की दीवार हो, जिसमें से हम एक-दूसरे को देख सकते हैं, बात कर सकते हैं, लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं।’

मेल चाइल्ड के विकास में अहम है पिता का रोल

पिता का अपने बच्चे के विकास पर गहरा प्रभाव होता है। खासतौर पर मेल चाइल्ड की मेंटल, इमोशनल, सेक्शुअल और सोशल नेचर के डेवलपमेंट में फादर अहम रोल प्ले करते हैं। साल 2008 में हुई एक स्टडी में सामने आया था कि ऐसे बेटे, जो अपने पिता के साथ अच्छा बॉन्ड शेयर करते हैं, वे पढ़ाई, आत्मविश्वास और स्थिति के मुताबिक खुद को ढालने में बेहतर होते हैं। घुटनों के बीच मुंह छिपाकर रोते रहते थे रणबीर कपूर, ऐक्टर के ये खुलासे सभी के लिए हैं सबक

कम्यूनिकेशन है जरूरी

मुताबिक, पिता और बेटे के बीच में हेल्दी और ओपन रिलेशनशिप होना बहुत जरूरी होता है। ऐसे पिता जो विचार और भावनाएं जाहिर करते हैं, उनके बेटों के इन्टर्नलाइजिंग डिसऑर्डर को फेस करने की आशंका कम होती है। इस स्थिति का सामना करने वाले व्यक्ति को अपने इमोशन्स और समस्याएं दूसरों के साथ साझा करने में परेशानी होती है। वह इन्हें अपने अंदर ही दबाकर रखता है, जो अन्य इमोशनल व मेंटल प्रॉब्लम्स का कारण बनता है। ऋषि कपूर ने अपनी सास से कह दी थी बड़ी बात, हर दामाद को समझनी चाहिए यह चीज

डर नहीं, फ्रेंडली बॉन्ड है जरूरी

आमतौर पर पिता को स्ट्रिक्ट फिगर के रूप में देखा जाता है, लेकिन डर की इस इमेज की जगह बेटे संग फ्रेंडली बॉन्ड शेयर करना ज्यादा बेहतर रिजल्ट देता है। इस तरह के रिश्ते में बेटा अपनी परेशानियां खुलकर पिता संग साझा करता है, जिससे उसे सही गाइडेंस मिल पाती है और वह प्रैक्टिकल ऐंड प्रफेशनल प्रॉब्लम्स से ज्यादा अच्छे से डील कर पाता है। साथ ही में पिता का ये नेचर लड़कों को भी भविष्य में अपने बच्चों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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