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सलाम: बेटे के संक्रमित होने से डर गया परिवार, तो मां लड़कर कोरोना से छीन लाई जिंदगी

सलाम: बेटे के संक्रमित होने से डर गया परिवार, तो मां लड़कर कोरोना से छीन लाई जिंदगी

24 वर्षीय गुरमुख सिंह एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट मयूर विहार विनोद कुमार सिंह के पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर के तौर पर तैनात हैं। वह कहते हैं कि सामान्य दिनों में जहां सुबह 10 बजे ऑफिस पहुंचना होता था, वहीं कोरोना के इस दौर में लगातार ड्यूटी कर रहे थे। महामारी का प्रकोप ज्यादा होने की वजह से सभी साथी बिना कोई छुट्टी लिए सेवाएं दे रहे थे। हालांकि कोरोना के प्रकोप के चलते कई अधिकारी-कर्मचारी अपनी गाडियों से आवागमन कर रहे थे।

गुरमुख ने कहा कि इमरजेंसी सर्विस या कोविड ड्यूटी में कम कहां जाना पड़ जाए, इसका समय तय नहीं होता। छुट्टी भी नहीं ले रहे थे और रोजाना सुबह से लेट नाइट तक सेवाएं दे रहे थे। इसी दौरान उनका कभी लंच, तो कभी डिनर स्किप हो जाता था। काम ज्यादा था, मीटिंग्स के साथ फील्ड वर्क भी होता था। 13 अप्रैल को एलजी के ऑर्डर आए कि कोविड ड्यूटी में भी छुट्टी मिलेगी।

तभी अचानक लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में 550 लोगों को कूट्टू का आटा खाने से फूड पॉइजनिंग होने के चलते एडमिट होना पड़ा। ऐसे में वहां तुरंत ड्यूटी पर जाना पड़ा, उसी दिन पहली गुरमुख को तबियत खराब महसूस हुई। 15 अप्रैल की रात बुखार आया, तो 16 को ड्यूटी नहीं जा पाए।

17 को जांच कराई जो पॉजिटिव आई। ऐसे में होम क्वारंटीन रहने की सलाह उनके अधिकारी ने ही दी। जब पांच-सात दिन बुखार ही नहीं उतरा और मुंह का स्वाद चला गया, तो सभी घरवाले डर गए। घर में बहन पास आने से भी डर रही थी, मगर मां सुनीता ने यहां खुद मोर्चा संभाला और मुंह पर मास्क बांधकर उनकी सेवा में जुट गईं। सुरक्षा का खयाल रखते हुए उन्हें पूरी डाइट और दवाएं देने की जिम्मेदारी निभाई। कुछ खाने का मन नहीं होता था, तो मां ने जबरदस्ती फल खिलाए। फिर काढ़ा नियमित पिलाया तो काफी राहत महसूस हुई। घर में अकेला लड़का था, तो मां कोरोना से भिड़कर उनकी जिंदगी छीन लाई।

डाइट कम हो गई थी, वह वापस आने लगी। फिर रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई थी, मगर कमजोरी देखते हुए बॉस ने खुद आराम की सलाह दी। वह कहते हैं कि सबसे खराब अनुभव अकेलेपन का रहता है, लेकिन दोस्तों ने अकेला महसूस नहीं होने दिया। मौसी नर्स हैं उन्होंने दवाओं के बारे में बताया और कीवी आदि फल खाने की सलाह दी। सबसे यही कहूंगा कि भले ही खाने का मन ना करे, मगर कोरोना में भरपूर भोजन लें।

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