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IND vs SA: श्रीलंका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में क्या टीम इंडिया के आएगा काम ,साउथ में मिला ज्ञान?

Indian Cricket Team Ind Vs Sa

वो कहते है ना कि जीवन में एक झटका मिलना बेहद ही जरूरी होता है। ऐसा ही झटका हाल ही टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज से मिल चुका है। जहां नए साल की पहली सीरीज में इतिहास रचने के इरादे से टीम इंडिया का सपना चकना चूर हो गया। तो वहीं फिर से लोगों को इतिहास का पन्ना पढ़ना पड़ा। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या इस झटके से टीम इंडिया ने कुछ सबक हासिल किया? क्या इसके बाद वो सभी खामियां दूर होती नजर आएंगी?

केपटाउन में सीरीज हारने के बाद भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने एक बात पर जोर दिया। वह जोर टीम की असफल बल्लेबाजी को लेकर था। जिससे सप्ष्ट होता है कि कोहली को भी लगता है कि गलती बल्लेबाजी में है। और ऐसी ही असल में पूरी सीरीज में देखा गया।

टीम इंडिया का बदलेगा चेहरा?

हाल ही में भारत और साउथ अफ्रीका के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज खत्म हुई है। जिसमें भारत को साउथ अफ्रीका से करारी हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन टीम इंडिया को लगा झटका क्या आगे आने वाले मैचों में एक सबक के तैर पर साबित हो सकता है। क्या टीम इंडिया के खिलाड़ी अपनी नाकामियों को दूर कर एक बार फिर से अपने अंदाज में सामने आएगी। यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन साउथ अफ्रीका के पूर्व ऑलराउंडर कलिनन के मुताबिक टीम इंडिया को प्लेयर इशांत शर्मा को खिलाना चाहिए था। लेकिन टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज होकर भी इशांत दौरे पर टूरिस्ट ही बने सके। ये सब चूक भारत ने की है, जिनसे उसे सीखना होगा और आगे आने वाले मैचों में सबक लेना होगा।

ये तो हमारे अनुसार कुछ बाते है, जो टीम इंडिया की खामियों को उजागर करते हैं। लेकिन इसके अलावा और सबसे जरूरी है आत्म मंथन। जो टीम इंडिया को करना चाहिए और अगर बदलाव की गुंजाइश टीम में लगती है तो बगैर खिलाड़ी के कद और रुतबे को देखते हुए उसमें 25 फरवरी से शुरू होने वाले श्रीलंका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज से पहले बदलाव करना चाहिए।

फेल हुए बैटिंग से टीम इंडिया को लेना होगा सबक

आपको बता दें साउथ में मिले सबक से ऐसा करने की क्यों जरूरत है, आइये आपको एक उदाहरण के तहत समझाते है। मिडिल ऑर्डर किसी भी टीम की बल्लेबाजी की रीढ़ मानी जाती है। इसमें तीसरे और 5वें नंबर के बल्लेबाज का बड़ा रोल होता है। लेकिन, जब आप इस ऑर्डर पर खेलने वाले साउथ अफ्रीका के बावुमा और पीटरसन के बैटिंग औसत से टीम इंडिया के रहाणे और पुजारा के बैटिंग औसत की तुलना करेंगे , तो सारा दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। साउथ अफ्रीका के लिए टेम्बा बावुमा ने 73.66 की औसत से और पीटरसन मे 46 की औसत से सीरीज में रन बनाए थे। तो वहीं टीम इंडिया के रहाणे का बैटिंग औसत 22.66 और पुजारा का 20.66 रहा।

गेंदबाजी में निरंतरता की कमी पर दे ध्यान

क्रिकेट में बल्लेबाज जितने महत्वपूर्ण हैं, उतने ही टीम के लिए गेंदबाज भी। यानी दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे से है। भारत की मौजूदा पेस अटैक को अभी सबसे बेहतर बताया जाता है। लेकिन साउथ अफ्रीकी पिचों पर भारत के बॉलिंग अटैक में निरंतरता की भारी कमी दिखी, जिसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ता दिखाई दिया। इसे आप साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों से उनकी तुलना कर समझ सकते हैं। साउथ अफ्रीका के लिए उसके प्रमुख तेज गेंदबाज कैगिसो रबाडा, लुंगी नगिडी और मार्को यानसन थे। वहीं भारत के लिए वो रोल जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और शार्दुल ठाकुर निभा रहे थे। लेकिन, कागजों पर मजबूत दिखने वाली भारत की गेंदबाजी का मैदान पर उतरते ही असर कम दिखने लगा।

रबाडा, यानसन और नगिडी ने जहां 3 टेस्ट की सीरीज में क्रमश: 20, 19 और 15 विकेट चटकाए। तो वहीं उनके मुकाबले शमी, बुमराह और शार्दुल बस 14, 12 और 12 विकेट ले सके। यानी, कोई भी भारतीय गेंदबाज सीरीज के हाईएस्ट विकेटटेकर की टॉप 3 लिस्ट में नहीं रहा। ये भी नहीं भूलना चाहिए कि साउथ अफ्रीका ने भारत को एक और मुख्य तेज गेंदबाज एनरिख नॉर्खिया के बगैर हराया है।

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