हिमांचल प्रदेश में मोबाईल नेटवर्क की तलाश में बच्चों को घर से पांच किलोमीटर दूर पहाड़ी की चोटी पर जाकर ऑनलाइन परीक्षा देनी पड़ी।
चट्टान के नीचे ओट लेकर दिया पर्चा
मौसम और बारिश से बचने के लिए बच्चों ने एक खतरनाक चट्टान के नीचे ओट लेकर पर्चा दिया। हिमांचल प्रदेश के इलाके भरमौर की खुंदेल और बलोठ पंचायतों के बच्चों को कोरोना महामारी के बीच सेकेंड टर्म की ऑनलाइन परीक्षा देना जोख़िम के समान साबित हो सकता है। सिग्नल की तलाश में बच्चे तीन घंटे का सफर कर पहाड़ी तक पहुंच रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों के अनुसार वे कई बार सरकार और प्रशासन से क्षेत्र में मोबाइल सिगनल की समस्या के समाधान करने की मांग कर चुके हैं। मगर अफसोस कि आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता।
सरकार के डिजिटल इंडिया के बड़े दावों की हकीकत
कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 से शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। सरकार के आदेशानुसार बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा ली जा रही हैं ताकी पढ़ाई पर असर न हो। मंगलवार को दूसरी से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की ऑनलाइन परीक्षा थी। बलोठ पंचायत प्रधान रत्न चंद, पूर्व प्रधान देवराज, खुंदेल प्रधान प्रभाती, अभिभावक सोभिया राम, प्रवीण, अंबिया राम ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिये प्रशासन को कई बार बताया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यही सरकार के डिजिटल इंडिया के बड़े बड़े दावों की हकीकत है की जो हमारा आने वाला कल है, उन्हें ही अपनी जान हथेली पर रखकर अपना भविष्य तराशना पड़ता है.
प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं घर-द्वार पहुंचाने के सिर्फ दावे
उच्च शिक्षा उपनिदेशक देवेंद्र पॉल के अनुसार जिले में 10 % बच्चों को प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका घरद्वार पहुंचाई जा रही हैं और बच्चों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए शिक्षा विभाग हर तरह से कार्यरत है। यह मामला सामने आने पर सरकार के ये दावे जुठे साबित हो गये हैं।