सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप पॉलिसी वाले मामले में 15 फरवरी 2021 सोमवार को पिछले महीने किए गए बदलाव को चुनौती देनेववाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी को नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा है। नोटिस जारी करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कुछ सख्त टिप्पणियां भी की है। कोर्ट ने कहा कि, आप दो या तीन ट्रिलियन की कंपनियां होगी मगर लोगों को पैसे से ज्यादा अपनी प्राइवेसी प्यारी होती है, और इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है”।
वॉट्सऐप से नागरितकों को अपनी प्राइवेसी खत्म होने की आशंका है
वॉट्सऐप प्रइवेसी के मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने की जिसमें न्यायाधीश एएस बोपन्ना, वी.रामा सुब्रमण्यन शामिल थे। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि यूजर्स के डेटा को दूसरी कंपनियों के साथ शेयर किए जाने के लगते आरोपों को देखते हुए लोगों की निजता की रक्षा अवश्य होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “नागरिकों को अपनी प्राइवेसी खत्म होने की आशंका है और लोगों को लगता है कि उनके चैट्स और डेटा दूसरों के साथ शेयर किए जा रहे हैं। अदालत ने कहा कि हमें इस बात को लेकर चिंता है कि वॉट्सऐप संदेशों के सर्किट को जाहिर कर देता है”।
प्राइवेसी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वॉट्सऐप के वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा, “आप दो या तीन ट्रिलियन डॉलर की कंपनियाँ होंगी मगर लोगों को पैसे से ज्यादा अपनी प्राइवेसी प्यारी होती है, और इसकी रक्षा करना ह्मारा कर्तव्य है”।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने वॉट्सऐप के वकीले से कहा कि, “हम आपसे वही कह रहे हैं जो हमने सुना और पढ़ा है। लोग सोचते हैं कि अगर ए ने बी को मेसेज भेजा और बी ने सी को, तो फेसबुक को संदेशों के इस पूरे सर्किट की जानकारी होती है”।
वकीलों ने रखें अपने पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वॉट्सऐप के वकील कपिल सिब्बल और फेसबुक के वकील अरविंद दतार ने वॉट्सऐप पर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा, “यूरोपीय देशों में एक विशेष कानून (जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन्स) है, लेकिन भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर संसद इस संबंध में कानून बनाती है, तो कंपनी उसका पालन करेगी।
दूसरी तरफ केंद सरकार की तरफ से जिरह करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषाप मेहता ने कहा कि, कंपनियां यूजर्स का डेटा शेयर नहीं कर सकती और डेटा की सुरक्षा होनी चाहिए”। उन्होंने कहा कि, “प्राइवेसी के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ये देश के लोगों का अधिकार है”
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वॉट्सऐप और फेसबुक को अपनी डेटा शेयरिंग की पॉलिसी को स्पष्ट करना चाहिए, वो भी 4 हफ्तों के अंदर। साथ में उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार भी चूकी इस मामलें एक पार्टी है, तो केंद्र को भी 4 हफ्तों में अपना जवाब देना होगा।