Posted inक्रिकेट

भारत को टी-20 वर्ल्ड सीरीज जीताने वाले ये खिलाड़ी हुए बेरोजगार, भुखमरी की हालत

भारत को टी-20 वर्ल्ड सीरीज जीताने वाले ये खिलाड़ी हुए बेरोजगार, भुखमरी की हालत

साल 2019 में भारतीय क्रिकेटरों ने फिजिकल डिसेबिलिटी टी20 वर्ल्ड सीरीज का खिताब जीता था। हालांकि, वर्ल्ड चैंपियन बनने के करीब एक साल बित जाने के बाद टीम के 18 प्लेयर्स में से 14 खिलाड़ियों के सामने रोजी- रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है। 14 खिलाड़ी बेरोजगारी की हालत में भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर के वसीम इकबाल और महाराष्ट्र के कुणाल फणसे भी शामिल हैं। जहां एक तरफ इकबाल इलेक्ट्रिकल और कुणाल मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर चुके हैं। इसके बावजूद भी फिल्हाल वे बेरोजगार हैं। वे खेतों पर काम करने को मजूबर हो गए हैं। बता दें कि- टी20 वर्ल्ड सीरीज में इकबाल और कुणाल दोनों भारतीय टीम के ओपनर बल्लेबाज थे।

टीम के 18 प्लेयर्स में से 14 हुए बेरोजगार

इस टी20 वर्ल्ड सीरीज में भारत को चैंपियन बनाने में वसीम और कुणाल की अहम भूमिका रही थी। पाकिस्तान के खिलाफ लीग के आखिरी मुकाबले में 150 रनों का पीछा करते हुए दोनों ने 125 रनों की शानदारी पारी खेली थी। इन दोनों की साझेदारी के दम पर ही भारत ने यह मैच 17.1 ओवर में ही जीत लिया था। वसीम इकबाल ने 43 गेंदों पर 69 रन तो कुणाल ने 47 गेंद पर 55 रन बनाए थे। यह मैच टीम के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ था। भारत ने पिछले साल 13 अगस्त को ही फाइनल में इंग्लैंड को 36 रन से हराकर यह वर्ल्ड सीरीज अपने नाम की थी।

इंजीनियरिंग की डिग्री के बावजूद नहीं मिला रोजगार

इंजीनियरिंग की डिग्री होने के बाद भी इन दोनों के अलावा टीम के 12 और अन्य खिलाड़ी भी बेरोजगार हो गए हैं। इंडिया टीम को जीत दिलाने वालों में सिर्फ चार खिलाड़ियों के पास ही रोजगार कर रहे है। मुंबई के रहने वाले रविंद्र संते सेंट्रल रेलवे, नागपुर के ऑल-राउंडर गुरुदास राउत नेवी में नौकरी करते हैं। विकेटकीपर तुषार पॉल पश्चिम बंगाल में शिक्षक हैं। वहीं, टीम के कप्तान मुंबई स्थित एक निजी फर्म में कार्य कर रहे हैं।

मिड-डे की खबर के मुताबिक, कुणाल ने बताया कि- साल 2019 में फाइनल से पहले हम सभी खिलाड़ी यह चर्चा कर रहे थे कि- अगर हम यह सीरीज जीतते हैं तो हमें नौकरी मिलेगी। हमारी आर्थिक हालत भी सुधर जाएगी। लेकिन हमें बीसीसीआई द्वारा इनामी राशि के रूप में मिले 2.70 लाख रुपए के अलावा कुछ भी नहीं मिला।

इकबाल कहते हैं, मैं कई बार खेल और सामान्य कोटे से यहां तक की एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों से भी नौकरी की बात कर चुका हूं, लेकिन हर जगह से हताशा ही हाथ लगी है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version