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लॉकडाउन में गई नौकरी तो ऑफिस जाने वाली स्कूटी को ही बना दिया ढाबा, अब हो रही इतनी कमाई नहीं करना जॉब

लॉकडाउन में गई नौकरी तो ऑफिस जाने वाली स्कूटी को ही बना दिया ढाबा, अब हो रही इतनी कमाई नहीं करना जॉब

कोरोना वायरस महामारी के बाद पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया था. जिसके बाद पूरे देश में हजारों लोगों की नौकरी छूट गई, लोग बेरोजगार हो गए थे. महामारी और लॉक डाउन के कारण नौकरी को लेकर बेरोजगार और परेशान होने वाले लोगों में नई दिल्ली के रहने वाले बलवीर भी एक थे.

पेशे से ड्राइवर से बलवीर

बता दे, बलवीर पेशे से एक ड्राइवर थे जो कि एक होटल में गाड़ी चलाने का काम करते थे. कोरोना महामारी और लॉक डाउन के बाद अचानक उनकी जॉब चली गई और वह बेरोजगार हो गए. लॉकडाउन खुलने के बाद बलवीर कई दिनों तक नौकरी की तलाश में भटकते रहे. काम ना मिलने के बाद कई दिन तक तो वह काफी परेशान रहे, लेकिन आखिरकार उन्होंने इस मुश्किल का हल खोज ही लिया.

खुद का ढाबा शुरू कर दिया

बलवीर ने लॉकडाउन खुलने के बाद ज्यादा समय ना गवांते हुए ढाबे का काम शुरू कर दिया. दरअसल वह जिस स्कूटी से नौकरी पर जाया करते थे, उसे ही ढाबा बना लिया और गुड़गांव की रोड पर खाना बेचना शुरू कर दिया. शुरुआत में उन्होंने 20-25 लोगों का खाना ही बनाना शुरू किया लेकिन जैसे ही धीरे-धीरे उनका खाना बिकने लगा, उनका संशय दूर हो गया और उन्होंने खाने की मात्रा बढ़ा दी.

 

दोस्त को भी दिया रोजगार

खाने में उन्होंने राजमा चावल और छोले कढ़ी बनाना शुरू किया था. जो धीरे-धीरे खूब बिकने लगा. उनकी दुकान पर लोगों की भीड़ जमना शुरू हो गई. बलवीर का खाना लोगों को खूब पसंद आया. इसी बीच उनका एक दोस्त हरविंदर भी बेरोजगार घूम रहा था. तो उन्होंने उसे भी अपने काम में साथ ही रख लिया और दोनों मिलकर खाना बनाने लगे.

दोबारा नौकरी नहीं करेंगे बलवीर

दोनों ही रोज कढ़ी-चावल, राजमा-चावल बनाकर बेचते हैं. बालवीर और हरविंदर दोनों का घर इसी ढाबे से चल रहा है. बात की जाए खाने के रेट की तो दोनों ने ₹20 से लेकर ₹50 तक खाने का रेट रखा है. बलबीर ने बताया कि वह ज्यादा से ज्यादा कोशिश कर रहे हैं, कि लोगों को अच्छा खाना खिलाएं. और हो सके तो बेरोजगार लोगों को अपने यहां काम भी दे सके. अब वह अपनी नौकरी पर दोबारा कभी नहीं जाएंगे. वह अपना यही काम आगे बढ़ाएंगे.

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं हिंद नाउ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर पर...

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