BCCI President: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष (BCCI President) पद हमेशा से ही बेहद अहम और प्रतिष्ठित रहा है। भारतीय क्रिकेट की नीतियां, बड़े टूर्नामेंटों की मेजबानी, खिलाड़ियों की सुविधाएं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति तय करने में इसकी बड़ी भूमिका होती है।
अब एक बार फिर से इस पद को लेकर नई जंग शुरू हो गई है और चार बड़े नाम इस रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें से एक दिग्गज वह भी है जिसने बतौर खिलाड़ी भारत को वर्ल्ड कप जिताया था।
इन 4 दिग्गजों के बीच होगी BCCI President की टक्कर
1. सौरव गांगुली
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है सौरव गांगुली का। गांगुली पहले भी बीसीसीआई अध्यक्ष (BCCI President) रह चुके हैं और उनके कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए गए। बतौर खिलाड़ी उन्होंने भारत को नई पहचान दिलाई और बतौर प्रशासक भी उनकी पकड़ मजबूत रही है। उनका अनुभव और लोकप्रियता उन्हें इस रेस का बड़ा दावेदार बनाती है। हालांकि, राजनीतिक समीकरण उनके पक्ष या विपक्ष में कितना जाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
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2. हरभजन सिंह
दूसरे दावेदार हैं हरभजन सिंह। भारत के महान स्पिनर और वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रह चुके हरभजन अब क्रिकेट प्रशासन में कदम रख रहे हैं। पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन ने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया है। उनकी क्रिकेट समझ और आक्रामक छवि उन्हें खास बनाती है, लेकिन उनके पास गांगुली की तरह प्रशासनिक अनुभव नहीं है।
3. किरन मोरे
तीसरे नाम के रूप में किरन मोरे सामने आए हैं। पूर्व विकेटकीपर और चयन समिति के चेयरमैन रह चुके मोरे को भी समर्थन मिल रहा है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट दोनों में उनका अनुभव और चयनकर्ता के रूप में लंबा सफर उन्हें प्रशासनिक दृष्टि से मजबूत बनाता है।
4. रघुराम भट्ट
चौथे दावेदार हैं रघुराम भट्ट, जिन्होंने भारत के लिए सिर्फ दो टेस्ट मैच खेले। हालांकि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर छोटा रहा, लेकिन कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन में वे लंबे समय से सक्रिय हैं और संगठनात्मक अनुभव रखते हैं। भट्ट का नाम इस चुनाव में “सरप्राइज पैकेज” माना जा रहा है।
बीसीसीआई अध्यक्ष (BCCI President) का चुनाव केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राजनीति और राज्य क्रिकेट संघों की भूमिका भी अहम होती है। अरबों रुपये की मीडिया डील्स, खिलाड़ियों की सुविधाएं और भारत की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्थिति तय करने की जिम्मेदारी इसी पद से जुड़ी है।
ऐसे में यह मुकाबला रोमांचक हो चुका है। अब देखना होगा कि गांगुली का अनुभव, हरभजन का नया जोश, मोरे का प्रशासनिक बैकग्राउंड या भट्ट का संगठनात्मक कौशल इनमें से किसे जीत दिलाता है।
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