नटवरलाल –
साल 1912 में बिहार के सिवान जिले के बंगरा गांव में जन्मे मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव पढ़ लिख कर एक वकील बने लेकिन वो वकालत से न जाने कब सच को झूठ बोलने का पेशा बना लिया। 1000 रुपये की पहली ठगी करने वाले नटवरलाल के 50 नाम थे और लोगों के हस्ताक्षर करने में उनका जवाब नहीं था। उन्होंने कोई छोटा ठग नहीं बल्कि लाल किला और ताजमहल के साथ-साथ सांसदों सहित पूरा संसद भावन ही बेच देते थे। साल 1996 में वह आखिरी बार देखे गये थे जब उन्हें पुलिस एम्स हॉस्पिटल ले जा रही थी।
पुलिस हिरासत से बच निकले फिर उनका कोई सुराग नहीं मिला। 2009 में उनके वकील ने कोर्ट में ये कह कर उनकी सज़ा माफ कर देने की दरखास्त दी कि उनका 2009 में निधन हो गया था, लेकिन यहीं नहीं वकील की दलील पर नटवरलाल के भाई ने कोर्ट में कहा कि उनकी सज़ा तो 14 साल पहले ही माफ कर देनी चाहिए थी, क्योंकि 1996 में उन्होंने खुद अपने हाथों से नटवरलाल का अंतिम संस्कार किया था। परन्तु आज तक कोई ठोस सुबूत नहीं मिला है।