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MOTIVATIONAL: UP पुलिस कांस्टेबल के जुड़वा बेटे एक साथ बने अफसर, छोटा भाई बना SDM, बड़ा तहसीलदार

मोटिवेशन

एक पिता और परिवार के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है कि उनके बच्चे जिंदगीं में तरक्की करते हुए खूब ऊंची कामयाबी छू लें. एक ऐसी ही मोटिवेशन से भरी कहानी के बारे में हम बात करने वाले हैं. जहां UP पुलिस के एक कांस्टेबल के जुड़वा बेटों नें अपने पिता का नाम रोशन करते हुए एक बेटा SDM बन गया तो वहीं दूसरा बेटा तहसीलदार बन गया है.

वाकई ये कहानी सभी युवाओं क लिए काफी मोटिवेशन साबित होने वाली है और आखिर हो भी क्यों नहीं क्योंकि हर कोई बच्चा अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहता है और अगर उसे इस दर्जे की सफलता मिले तो उसे परिवार वालों का सर और गर्व से ऊंचा हो जाए जैसे इन दोनों जुड़वा भइयों के पिता का हो रहा है. तो आइए एक बार इसी मोटिवेशन कहानी पर नज़र डालते हैं..

रोहित और मोहित यादव बनें मोटिवेशन

यूपी पुलिस के कांस्टेबल अशोक कुमार यादव जी मथुरा की थाना कोतवाली में पोस्टेड हैं. उनके जुड़वा बेटे रोहित यादव और मोहित यादव ने उनका नाम और रोशन कर दिया है और ये जो कामयाबी इन दोनों बेटों ने हासिल की हैं न सही मायनोंं में माना जाए तो अशोक जी को इस खुशी से  जुड़वा ‘मेडल’ मिल गया है. वैसे भी किसी भी पिता के लिए बच्चों की कामयाबी से बढ़कर और कुछ भी नहीं होता है. आपको बता दें कि, इन दोनों भाईयों का UP PCS (Provincial Civil Service) परीक्षा में सलेक्शन हो गया है. जिसमें से एक बेटा डिप्टी कलेक्टर बना और दूसरा बेटा तहसीलदार की पोस्ट के लिए सलेक्ट किया गया है.

रोहित और मोहित दोनों भाईयों ने एक साथ ही अपनी पढ़ाई पूरी की है. ऐसा माना जाता हा कि, दोनों बच्चे छोटी उम्र से ही पढ़ाई में बहुत तेज़ और काफी समझदार थे. गौरतलब है कि इन दोनों भाइयों की ज्यादातर आदतें भी एक दुसरे से मिलती जुलती हैं और अब दोनों ने एक साथ ही यह गवर्नमेंट जॉब पाकर सबको हैरानी में डाल दिया है. दोनों ने एक साथ बीटेक (B.Tech) की पढ़ाई पूरी की थी और उसके बाद सिविल सेवाओं में जाने का फैसला लिया, जिसके बाद दोनों भाई दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहने आ गए और वहीँ से आगे की तैयारी पूरी करते रहे थे.

इसमें एक भाई 30वीं रैंक से पास हुआ था और दूसरा भाई 36वीं रैंक से पास हुआ था. इसीलिए उनके आस पड़ोस में और घर परिवार में हर जगह खुशी के माहौल हैं और आखिर हो भी क्यों न हीं क्योंकि हर कोई बच्चा अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहता है और अगर उसे इस दर्जे की सफलता मिले तो उसे परिवार वालों का सर और गर्व से ऊंचा हो जाए और वाकई इन दोनों भाईयों की सफलता की कहानी किसी मोटिवेशन से कम नहीं है.

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