Manchester Test : भारत और इंग्लैंड के बीच चल रहे मैनचेस्टर टेस्ट (Manchester Test) के रोमांच के बीच क्रिकेट जगत से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। एक दिग्गज और धाकड़ खिलाड़ी ने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली, जिससे खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई। मैदान पर अपने जज्बे और जुनून से पहचान बनाने वाले इस खिलाड़ी की असमय मौत ने फैंस और साथी खिलाड़ियों को गमगीन कर दिया है।
Manchester Test के बीच टुटा दुखों का पहाड़
जब भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर टेस्ट (Manchester Test) के पहले दिन का खेल चल रहा था, उसी दौरान क्रिकेट जगत को एक गहरा झटका लगा। बांग्लादेश के पूर्व क्रिकेटर मीर बेलायत हुसैन के निधन की खबर ने खेल प्रेमियों को स्तब्ध कर दिया।
मैनचेस्टर टेस्ट (Manchester Test) के बीच जैसे ही यह खबर सामने आई, क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई। मीर बेलायत हुसैन (Mir Belayat Hossain) पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज चल रहा था।
हालांकि उम्मीद थी कि वह जल्द ठीक हो जाएंगे, लेकिन इलाज के दौरान ही उनकी तबीयत बिगड़ गई और 70 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से बांग्लादेशी क्रिकेट ने एक सच्चा सेवक और मार्गदर्शक खो दिया।
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एक धाकड़ खिलाड़ी, जिसने रखी बांग्लादेश क्रिकेट की नींव
बेलायत हुसैन न सिर्फ एक बेहतरीन विकेटकीपर-बल्लेबाज थे, बल्कि उन्होंने 1979 के आईसीसी ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व किया। घरेलू क्रिकेट में अबाहानी, कलाबागान जैसी शीर्ष टीमों के लिए खेलते हुए उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान न होने के बावजूद, उन्होंने देश की क्रिकेट नींव को मजबूत किया। घरेलू क्रिकेट में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, जहां उन्होंने युवा खिलाड़ियों को संवारने में अहम भूमिका निभाई। उनका समर्पण व अनुशासन युवाओं के लिए प्रेरणा है।
खिलाड़ी से अंपायर और प्रशासक तक का सफर
क्रिकेट से उनका जुड़ाव सिर्फ खेल तक सीमित नहीं था। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने मैच रेफरी और क्षेत्रीय विकास प्रबंधक के रूप में भी अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने 79 फर्स्ट-क्लास और 81 लिस्ट ए मैचों में रेफरी की भूमिका निभाई।
उनकी प्रशासनिक क्षमताएं भी उतनी ही प्रभावशाली रहीं जितनी उनकी मैदान पर मौजूदगी। विकासशील क्षेत्रों में क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने जमीनी स्तर पर लगातार काम किया। संघों और बोर्ड के साथ तालमेल बैठाकर उन्होंने क्रिकेट संरचना को और मजबूत किया।
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