Monkey Fever: कोरोना अभी पूरी तरह से गया नहीं है की उससे पहले के और एक बीमारी ने अपनी दस्तक दे दी है. कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में ‘मंकी फीवर’ (Monkey Fever) का कहर बढ़ता जा रहा है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्नाटक में इसकी वजह से दो लोगों की जान चली गई है. अब तक इस वायरस के कुल 49 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी अधिकारियों को इससे निपटने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है. लेकिन ये मंकी फीवर है क्या? कैसे फैलती है यह बीमारी? आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या है Monkey Fever?
मंकी फीवर (Monkey Fever), जिसे वैज्ञानिक रूप से क्यासानूर वन रोग (KFD) के रूप में जाना जाता है. यह एक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से टिक काटने से फैलती है जो आम तौर पर बंदरों पर जीवित रहते हैं। यह टिक इंसानों पर हमला करता है, जिससे बीमारी होती है। टिक्स से संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से मनुष्यों को भी यह बीमारी हो सकती है।
Monkey Fever के लक्षण
टिक काटने के बाद 3 से 8 दिनों की अवधि के बाद, मंकी फीवर (Monkey Fever) से संक्रमित व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार के लक्षणों का अनुभव हो सकता है। इनमें आमतौर पर तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गड़बड़ी जैसे उल्टी, दस्त और कभी-कभी रक्तस्रावी अभिव्यक्तियां शामिल हैं। गंभीर मामलों में, केएफडी एन्सेफलाइटिस, हेपेटाइटिस और मल्टी ऑर्गन फेलियर जैसी लक्षण दिख सकते हैं.
Monkey Fever का इलाज
मंकी फीवर (Monkey Fever) के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, हालांकि, स्थिति को देखते हुए तत्काल चिकित्सा सहायता लेने की सिफारिश की जाती है। डॉक्टर आमतौर पर बुखार से पीड़ित रोगी को पूरा आराम करने, पर्याप्त जलयोजन और प्रोटीन युक्त आहार खाने की सलाह देते हैं।
यह भी पढ़ें: 6 साल बाद भुवनेश्वर कुमार से हुई चयनकर्ताओं को हमदर्दी, अंतिम 3 टेस्ट में मौका, बुमराह को करेंगे रिप्लेस