महेन्द्र सिंह धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिये हैं। धोनी ने 16 वर्ष तक टीम इंडिया को सेवा दिया है। बल्लेबाज के साथ-साथ विकेट कीपर के तौर पर अपने देश का नाम रोशन किया है। महेन्द्र सिंह धोनी कैप्टन कूल दिमाग के लिए काफी जाने जाते हैं। धोनी के इस संन्यास के बाद ये सवाल उठता है कि आखिर धोनी ने स्वतंत्रता दिवस के दिन ही क्यों संन्यास की घोषणा किया।
धोनी का दिल हमेशा अपने देश के लिये धड़कता है। वे हमेशा अपने देश के लिये खेले हैं अगर माने तो धोनी का पहला प्यार उनका देश और राष्ट्र सेवा है। जिसके वजह से धोनी ने भारतीय सेना ज्वाइन किया था।
पिता बने के बाद भी वापस नही लौटे स्वदेश
बता दें 2015 वर्ड कप आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेला गया था। उस वक़्त धोनी की पत्नी साक्षी प्रेग्नेंट थी। और जब धोनी को खबर मिला कि वे पिता बन गए हैं, तो वे क्रिकेट छोड़ कर वे देश के खातिर वापस नही आए। जब उनसे पूछा गया तो कहे कि देश मेरे लिए ज्यादा जरूरी है।
जब धोनी को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानक रैंक से नवाजा गया तो धोनी ने अपने दिल की बात कहा कि अगर मैं क्रिकेट में नही आता तो निश्चित रूप से एक सैनिक होता। बता दें धोनी ने पूरे तैयारी के साथ ट्रेनिंग लिया और इसके बाद विक्टर फोर्स से भी जुड़े।
जब 2019 पुलवामा में सेना के कैम्प में आतंकी हमला हुआ था तो भरतीय टीम सेना के सम्मान में एक दिवसीय मैच के दौरान आर्मी कैप पहन कर खेला था। शहीद सेना के श्रद्धांजलि देने के लिये भारतीय टीम ने ऐसा किया। उस समय पूरे इंडिया टीम ने अपने मैच फीस शहीदों के परिवार को दान में दे दिए थे।
पद्म भूषण से सम्मानित-
धोनी 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किये गए थे। उस समय सेना के यूनिफॉर्म में ये सम्मान हासिल किये और कहे कि जब यह सम्मान यूनिफॉर्म में हासिक करते हैं तो खुशी दोगुनी हो जाती है। इस तरह से देश पहला प्यार है, जिसके बाद धोनी ने 15 अगस्त के दिन ही संन्यास लेने का ऐलान किया।