उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में लोग एक महिला को सड़क के किनारे अपने बच्चे को फर्राटेदार अंग्रेजी में पढ़ाते हुए देखकर हैरान रह गए थे। जब उस महिला से उसकी इस हालत के बारे में पूछा गया तो उसकी कहानी सुन हर एक की आंखें नम हो गई।
भगवान ने किसके भाग्य में क्या लिखा है यह कोई जानता नहीं, अल्मोड़ा जिले में भीख मांगने के लिए मजबूर महिला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। महिला ने अंग्रेजी और राजनीति शास्त्र में एमए की ड्रिग्री भी हासिल की है, लेकिन आज उसे भीख मांग कर दूसरों के सहारे जीना पड़ रहा है।
कॉलेज के दिनों में थी ब्रिलियंट
अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक स्थित ग्राम रणखिला गांव की रहने वाली हंसी प्रहरी बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी तेज थी। हंसी ने अपनी इंटर तक की पढ़ाई गांव से ही पूरी की, आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में एडमिशन लिया। हंसी ने मीडिया से बताया कि उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में कई शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लिया था।
चार सालों तक विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी मे लाइब्रेरियन
हंसी ने यह भी कहा कि साल 2000 में उन्हें छात्र संघ में उपाध्यक्ष के तौर पर भी चुना गया था, उसके बाद उन्होंने चार सालों तक विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी में नौकरी की। हंसी सड़क किनारे अपने बच्चे को पढ़ा रही थी। हंसी को इतना परफेक्टली अंग्रेजी बोलता हुआ सुनकर वहा से गुजरने वाला हर शख्स हैरान रह जाता था। सभी के मन में यह सवाल उठता था कि इतनी पढ़ी-लिखी महिला की क्या मजबूरी है जो उसे इस तरह भीख मांगनी पड़ती है।
ससुराल वालों के अत्याचार से थी परेशान
हंसी ने यह भी कहा की ससुराल वालों के अत्याचार से परेशान होकर उसने साल 2008 में अपने पति का घर छोड़ दिया ओर लखनऊ से वापस अपने पैतृक गांव आ गई थी। हंसी शारीरिक तौर पर इतनी कमजोर हो गई थी नौकरी करना असंभव था और यही कारण था की वह रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर भीख मांगकर अपना गुजारा करने लगीं। फिर भी हंसी ने हार नहीं मानी और अपनी परेशानीयो से लड़ने का फैसला किया।
बेटी हाईस्कूल में 97 % अंकों के उत्तीर्ण हुई
हंसी के दो बच्चों में से छोटा बेटा उन्हीं के साथ रहता है और बड़ी बेटी नानी के घर रहकर पढ़ाई कर रही है। उनकी बेटी भी पढ़ाई में तेज है, पिछले साल ही वह हाईस्कूल में 97 % अंकों के उत्तीर्ण हुई है।
हंसी ने यह भी कहा की अगर उसे कहीं रहने जगह मिल गई तो वह अपने बेटे को भी पढ़ाएंगी । अपनी इस बात का ध्यान खींचने के लिए उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री और अधिकारियों को पत्र भी लिखे। हंसी अपने बेटे को प्रशासनिक अधिकारी बनाने की तमन्ना रखती हैं।
सोमेश्वर सीट से लड़ चुकी हैं विधानसभा चुनाव
मीडिया की मदद से लोगों की नजरों में आने के बाद हंसी को मदद करने के लिए कइ लोगों हाथ बढ़ाया है। एसडीएम गोपाल सिंह चौहान ने भेल स्थित समाज कल्याण आवास में हंसी और उनके बेटे के लिए एक कमरे की व्यवस्था भी करवा दी है।
सबको यह जानकर भी हैरानी हुई की हंसी प्रहरी साल 2002 में सोमेश्वर सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं। उस दौरान कांग्रेस के प्रदीप टम्टा और बीजेपी प्रत्याशी राजेश कुमार समेत 11 उम्मीदवार इस सीट के उम्मीदवार थे। चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा ने जीत हासिल की थी।