After-Fighting-On-The-Footpath-Mithun-Chakraborty-Became-Emotional-After-Receiving-Dada-Saheb-Phalke-Award-Forgot-The-Sorrow-Of-50-Years

Mithun Chakraborty: 70-80 के दशक में हिंदी सिनेमा पर राज करने वाले सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को इस साल के दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। जैसे ही ये ऐलान हुआ, मिथुन दा भावुक हो गए। बता दें, उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके पास कहने को शब्द ही नहीं बचे है, ना मैं हंस सकता हूं ना मैं रो सकता है’. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं कोलकाता के एक छोटे से इलाके से आता हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इतने बड़े अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा’. मिथुन ने इस अवॉर्ड को अपनी फैमिली और फ़ैंस को समर्पित किया।

Mithun Chakraborty ने 1976 में जीता था पहला अवॉर्ड

Mithun Chakraborty

मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत मृणाल सेन की आर्ट हाउस ड्रामा ‘मृगया’ (1976) से की थी जिसके लिए उन्होंने बेस्ट एक्टर का पहला नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया था। उसके बाद वो ‘डिस्को डांसर’, ‘अग्निपथ’, ‘मुझे इंसाफ चाहिए’, ‘हम से है जमाना’, ‘पसंद अपनी अपनी’, ‘घर एक मंदिर’ और ‘कसम पैदा करने वाले की’ जैसी हिट फिल्मों में नजर आए।

Mithun ने जताई खुशी

Mithun Chakraborty

मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) ने अब मीडिया से बातचीत में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड पर खुशी जताई है। इस दौरान, एक्टर थोड़ा इमोशनल हो जाते हैं और कहते हैं कि कैसे कोलकाता की सड़कों से निकला एक लड़का इतना बड़ा सम्मान पा रहा है। उन्होंने कहा- “सच बोलूं तो मेरे पास शब्द ही नहीं है। ना मैं हंस सकता हूं, ना खुशी से रो सकता हूं। इतनी बड़ी चीज कैसे हो गई, जहां से मैं आ रहा हूं, कोलकाता के बाईलेन से, फुटपाथ से लड़के इधर आया हूं। उस लड़के को इतना बड़ा सम्मान। सोच भी नहीं सकता। मैं वाकई स्पीचलेस हो गया हूं”।

पीएम मोदी ने भी एक्टर को बधाई दी है। उन्होंने लिखा कि “मिथुन को भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान को मान्यता देते हुए प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। वह एक कल्चरल आइकन हैं, जिनकी उनके बहुमुखी प्रदर्शन के लिए पीढ़ियों से तारीफ होती रही है। उन्हें बधाई”।

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