Aamir Khan: बॉलीवुड एक्टर आमिर खान को मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहा जाता है। एक्टर ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया और अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इन दिनों वह फिल्मों से दूर हैं और अपने कमबैक की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, आमिर खान (Aamir Khan) अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ-साथ पर्सनल लाइफ को लेकर भी चर्चा में बने रहते हैं।
साथ ही वह अपने बड़बोलेपन के लिए भी जाने जाते हैं। आज हम आपको एक्टर के उस बयान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में रहने से डर लगता है।
भारत में रहने से डरते हैं Aamir Khan
बता दें कि देश में जब असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस छिड़ी थी तो इसमें बॉलीवुड एक्टर आमिर खान (Aamir Khan) ने भी अपनी राय रखी थी। एक्टर ने कहा था कि पिछले 6-8 महीने में असुरक्षा और डर की भावना समाज में बढ़ी है। यहां तक कि मेरा परिवार भी ऐसा ही महसूस कर रहा है। मैं और मेरी पत्नी किरण ने अपनी पूरी जिंदगी भारत में जी है। लेकिन पहली बार उन्होंने मुझसे देश छोड़ने की बात कही।
यह बहुत ही खौफनाक और बड़ी बात थी जो उन्होंने मुझसे कही। उन्हें अपने बच्चे के लिए डर लगता है। उन्हें इस बात का भी डर है कि आने वाले समय में हमारे आसपास का माहौल कैसा होगा? वह अब अखबार खोलती हैं तो उन्हें डर लगता है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अशांति बढ़ रही है।
विरोध करने का हक सबको है – Aamir Khan
आमिर खान (Aamir Khan) ने साहित्यकारों, इतिहासकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों द्वारा पुरस्कार लौटाए जाने के मुद्दे पर भी बात की। एक्टर ने कहा – रचनात्मक लोगों के लिए ये जरूरी है कि वो जो सोचते हैं उसे अभिव्यक्त करें। रचनात्मक लोगों के लिए अपना असंतोष, अपनी निराशा जाहिर करने का एक तरीका अवॉर्ड लौटाने का भी है।
मेरी राय में अपनी बात लोगों तक पहुंचाने का यह तरीका है। उन्हें इससे कोई विरोध नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘हर किसी को विरोध का हक है। वह कानून हाथ में लिए बिना जो भी तरीका उचित समझमता है, उससे विरोध कर सकता है।’
आतंकवाद पर बोले Aamir Khan
आमिर खान (Aamir Khan) ने आतंकवाद के सवाल पर भी कहा – आतंकी घटनाओं का किसी मजहब से वास्ता नहीं होता। अगर कोई मुसलमान आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है तो मैं नहीं मानता कि वह इस्लाम का पालन कर रहा है। अगर कोई हिंदू ऐसा कर रहा है तो वह भी अपने धर्म का पालन नहीं कर रहा होता। कोई धर्म बेगुनाहों का कत्ल करने की इजाजत नहीं देता।
जब भी कोई घटना होती है तो उसे अंजाम देने वाले हिंदू-मुस्लिम, ईसाई कहने के बजाय सिर्फ आतंकी कहना चाहिए, धर्म का ठप्पा नहीं लगाना चाहिए। वह सिर्फ एक आतंकी है। जिसका कोई मजहब नहीं होता। एक्टर ने ऐसी घटनाओं के प्रति उदारवादी मुस्लिमों द्वारा विरोध जताने पर भी कहा – अगर मैं गलत नहीं हूं तो कई मुस्लिम संगठनों ने आईएसआईएस और दूसरे आतंकी संगठनों का विरोध करना शुरू कर दिया है। कम से कम भारत में तो ऐसा हो रहा है।
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