आज के समय में बॉलीवुड (Bollywood) में कपूर सरनेम और खान सरनेम के सितारे ही राज कर रहे हैं। माना जाता हैं कि इस सरनेम से बॉलीवुड में एंट्री लेने वालों को सफलता मिलना लाजमी हैं ही। लेकिन बॉलीवुड के एक ऐसे भी एक्टर हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए अपने कपूर सरनेम तक को छोड़ा बल्कि अपना नाम तक बदल लिया था। इस एक्टर का नाम था रवि कपूर, जिसे आज सारी दुनिया जितेंद्र (Jeetendra) के नाम से पहचानती हैं।
Jeetendra एक पंजाबी परिवार से रखते थे ताल्लुक
जानकारी के अनुसार बॉलीवुड एक्टर जितेंद्र (Jeetendra) मध्यम वर्गीय पंजाबी परिवार से थे और उनके पिता अमरनाथ कपूर एक छोटे बिजनेसमैन थे, जो सभी फिल्म स्टूडियोज में आर्टिफिशियल ज्वेलरी देते थे। वह पूरे दिन सभी स्टूडियो के चक्कर लगा आर्टिफिशियल ज्वेलरी सप्लाई किया करते थे। लेकिन उनका सबसे पसंदीदा वी.शांताराम का राजकमल स्टूडियो था। उस समय जितेंद्र के पिता सभी अभिनेताओं को जब – जब देखा करते थे तो अपने बेटे की तुलना उन से किया करते थे।
अमरनाथ कपूर अपने बेटे जितेंद्र को मानते थे बेहतर
जितेंद्र (Jeetendra) के पिता अमरनाथ कपूर को लगता था कि उनका बेटा तमाम हीरो के आगे सबसे अच्छा हैं। वह अपने बेटे की एक तस्वीर भी हमेशा अपने वॉलेट में रखा करते थे। शुरू में वह अपने बेटे की फोटो लोगों को दिखाने में हिचकिचाते थे। लेकिन एक समय उन्होंने हिम्मत कर के वी. शांताराम को अपने बेटे की फोटो दिखा ही दी। आखिर में शांताराम ने उनसे पूछा कि, क्या तुम्हारा बेटा एक्टिंग करना चाहता है? इस पर उन्होंने हां में जवाब देते हुए अपना सिरा हिला दिया।
जितेंद्र ने बतौर जूनियर आर्टिस्ट की थी शुरूआत
वहीं अमरनाथ कपूर अगले दिन अपने बेटे को शांताराम से मिलवाने के लिए स्टूडियो लेकर आ गए। शांताराम ने जितेंद्र को उस समय बतौर जूनियर आर्टिस्ट रख लिया और जयपुर ले गए। उस समय जितेंद्र (Jeetendra) को फिल्म के लिए पहनने के लिए धोती-कुर्ता दिया गया और भीड़ वाला एक सीन शूट किया गया। लेकिन उस समय लगातार शांताराम की नजरें जितेंद्र पर ही थी। शूटिंग से लौटने के बाद शांताराम ने अमरनाथ कपूर से कहा कि अपने बेटे को फिर से लेकर आना और कहा कि, “मैं एक फिल्म बना रहा हूं, जिसमें मेरी बेटी राजश्री अभिनेत्री हैं और तुम्हारें बेटे को उस में हीरो बना रहा हूं।”
साउथ निर्माता की वजह से बॉलीवुड में मिली पहचान
फिल्म मेकर शांताराम ने अमरनाथ कपूर के बेटे को अपनी फिल्म का हिरो तो बनाया लेकिन उसका नाम रवि उन्हें बहुत ही सिंपल लगा। इसलिए उन्होंने रवि का नाम बदल जितेंद्र रख दिया। जितेंद्र (Jeetendra) ने शांताराम की फिल्म में एक मूर्तिकार की भूमिका निभाई जो बाद में राजश्री के प्रेम में पड़ जाता हैं। बॉक्स ऑफिस पर फिल्म तो हिट रही पर इस फिल्म के बाद जितेंद्र की एक के बाद एक कई फिल्में सुपरफ्लॉप रही थी। उन्हें बॉलीवुड में पहचान जब मिली, जब साउथ के निर्माता सुंदरलाल नहाटा ने उन्हें अपनी फिल्म में रोल दिया। उन्होंने जितेंद्र को अपनी तेलुगु फिल्म के हिंदी रीमेक फर्ज के लिए लीड रोल में साइन किया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी हिट रही। इसके बाद जितेंद्र ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वह बॉलीवुड का एक बहुत बड़ा नाम बन गए थे।