ड्रग्स ऐंगल को लेकर आजकल बॉलीवुड़ मे बहुत कोहराम मचा हुआ है। रवि किशन, जया बच्चन, जया प्रदा, शेखर सुमन और अनुराग कश्यप जैसे कई नामी गिरामी लोग ड्रग्स मामले में अपने अपने विचारों को ट्वीट, बयान के माध्यम से प्रकट कर रही है। इस मामले में यहां दो गुट बन गए हैं, जिनमें एक तो वो लोग है जो मान रहे हैं कि बॉलीवुड़ में ड्रग्स का प्रयोग जोरदार तरीके से होता है और एक गुट वो है जिसमें लोगों का मानना है कि कुछ लोगों के कारण पूरी बॉलीवुड़ इंडस्ट्री बदनाम हो रही है। ऐसे में कुछ भी साफ बोल पाना काफी मुश्किल हो रहा है।
बीते दिनों रवि किशन ने संसद भवन में ड्रग्स के खिलाफ एक बयान दिया था जिसमें उन्होनें कहा था कि हम जानते हैं कि ड्रग्स की तस्करी और ड्रग्स की लत बढ़ती जा रही है। इस साजिश में हमारे पड़ोसी देश शामिल हैं। ड्रग्स चीन और पाकिस्तान से आता है। हमारी फिल्म इंडस्ट्री भी इससे ग्रस्त है । सरकार को पड़ोसी देशों की ये साजिश रोकनी चाहिए।
रवि किशन के बयान से भड़की जया बच्चन ने संसद में बयान दिया की लोग जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं। फिल्म उद्योग में नाम कमाने वाले उसी को गटर कह रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि सरकार ऐसे लोगों से कहे कि वे इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न करें। कुछ लोगों की वजह से पूरे फिल्म उद्योग की छवि को धूमिल नहीं किया जाना चाहिए।
भावुक हुए रवि किशन
एक्टर और नेता रवि किशन ने अपने पुराने दिनों को याद किया तो वो भावुक हो गए। पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि मुंबई में आकर उनको कौन-कौन सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। किस तरह पापा की मार खाकर गुस्से में जौनुपर से मुंबई भाग आए थे। रवि किशन ने बताया कि यू.पी के लोग सबको भइया भइया कहकर पुकारते थे।
आखिर क्यों छोड़ना पड़ा सरनेम
रवि किशन ने बताया कि मुंबई आकर उन्हें पता चला कि वहां केले वाले , दूध वाले, किराना वाले को भइया कहकर बुलाया जाता है। यहां पर भइया नाम की पहचान का कोई अस्तित्व नहीं था। सरनेम हटाने के पीछे के राज को खोलते हुए रवि किशन ने बताया कि एक लड़ाई के दौरान मुझसे कहा गया कि अपने नाम से तुम्हें शुक्ला तो हटाना पड़ेगा।
अपने नाम के आगे से अपने पिता का नाम हटाने से ज्यादा और दुखद क्या हो सकता है। उन दिनों मेरे पास रुपयों की किल्लत थी इसलिए ऐसा करना पड़ा। मैंने अपने नाम के आगे से शुक्ला हटा दिया। ये एक लंबी कहानी है। देश समझ गया होगा कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं। मैं चाहता था कि यहां फिल्म सिटी बने, सम्मान के साथ लोग यहां काम करें.