लाखो लोगो को अपने सुरो का दीवाना बनाने वाली सुर कोकिला लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर को मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के यहां उनका जन्म हुआ था। आज के दिन उनके कहने वाले उनके गए हुए गीतों को अपनी अपनी तरह से साझा करेंगे। सभी जानते ही होंगे कि एक गीत ऐसा है जो ना सिर्फ़ लता मंगेशकर का पसंदीदा गीत है, बल्कि उनके लिए ही लिखा भी गया है। साल 1977 फ़िल्म किनारा में रिलीज़ हुई थी और इस फ़िल्म में हेमा मालिनी, जीतेंद्र और धर्मेंद्र पर फिल्माया गीत ‘नाम गुम जाएगा’ लता मंगेशकर के पसंदीदा गानों में से एक है।
मेरे मन की बातों को पन्ने पर उतार दिया
निर्माता गुलज़ार ही इस फिल्म के इस गीत के लेखक भी हैं। इस फिल्म के निर्माता गुलज़ार ही इस गीत के लेखक भी हैं और ‘लता सुर-गाथा’ के लेखक यतींद्र मिश्र से उन्होनें साझा भी किया था कि यह गीत उन्होनें लता मंगेशकर के लिए ही लिखा था। लता कहती हैं, “हां, वो कमाल का गीत था। सच में जैसे उन्होनें मेरे मन की बातों को पन्ने पर उतार दिया और इसी वजह से यह मेरी व्यक्तिगत पसंद भी है और मैं हमेशा उनकी शुक्रगुज़ार रहूंगी कि उन्होनें इतना सुंदर गीत मेरे लिए लिखा.” लता मंगेशकर ने इस गीत के लिए कहा कि “मैं अगर खुद इस गीत के लिए कुछ कहना चाहूंगी तो इतना ही कहूंगी कि यह मेरे लिए जितना सही है, उतना ही यह सहगल साहब, मुकेश भैया और किशोर दा के लिए भी सटीक होगा।”
गुलज़ार का गीत हमेशा दिल के करीब रहेगा
शांताराम ने ‘तीन बत्ती चार रास्ता’ लता मंगेशकर पर फिल्म बनाई गयी लेकिन उनको नहीं बताई गयी। लेकिन लता ना तो इस फिल्म से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करती हैं और ना ही इस फ़िल्म के किरदार से कोई समानता ही पाती हैं। उनका कहना है कि,”लोगों को उस फिल्म और मेरे जीवन में कई समानताएं लगीं लेकिन मैं ऐसा उन्हें कुछ नहीं दिखता। यही नहीं फ़िल्म ‘सत्यम शिवम सुंदर’ के द्वारा राज कपूर साहब मेरा चरित्र पर्दे पर दिखाना चाहते थे और मुझे उसमें कास्ट करना चाहते थे लेकिन वो मुझे मेरी कहानी नहीं लगी थी। फिर नई पटकथा के साथ ज़ीनत अमान को लेकर वह फ़िल्म बनाई।”
गुलज़ार वाला गीत हमेशा दिल के करीब रहेगा और मैं मानती हूं कि इस गीत की तरह ही, हम लोगों की ज़िंदगी है, जिसमें आवाज़ ही पूरा वजूद बन जाया करती है। यह गीत मेरे दिल में बसा है।